Home Uncategorized *केरल में निपाह वायरस फैलने के बाद केन्द्र की टीम पहुंची कोझिकोड* 

*केरल में निपाह वायरस फैलने के बाद केन्द्र की टीम पहुंची कोझिकोड* 

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 केरल सरकार ने कोझिकोड ज़िले में निपाह वायरस का संक्रमण फैलने के बाद सभी शैक्षणिक संस्थानों को कल और आज बंद रखने का फ़ैसला किया है। राज्य सरकार की ओर से उन सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है जो संक्रमित पाए गए लोगों के संपर्क में आए हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार की एक टीम कोझिकोड पहुंच गयी है। इस टीम ने निपाह वायरस से संक्रमित क्षेत्र का दौरा किया है। वहीं, राज्य सरकार ने वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के क्वारंटीन के लिए उचित इंतज़ाम करना शुरू कर दिए हैं।

कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने अब से कुछ घंटे पहले बताया है कि अब तक कुल तीन सैंपल पॉज़िटिव पाए गए हैं।वहीं, अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, उन्होंने कहा है है कि “हमने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में मिले 706 कॉन्टेक्ट्स में से 77 लोग हाई रिस्क केटेगरी मे हैं। 153 स्वास्थ्य कर्मी लो रिस्क कैटेगरी में हैं। जो मरीज हाई रिस्क कैटेगरी में हैं, उन्हें अपने घरों में रहने के लिए कहा गया है। अगर उनमें लक्षण नज़र आते हैं तो वे कॉल सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं। ”वीणा जॉर्ज ने बताया है कि ऐसे मरीज़ जिनमें लक्षण नज़र आते हैं तो उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा, “आइसोलेशन में रखे गए लोगों में किसी तरह के लक्षण नज़र आने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा। हमने टेलीमेडिसिन की व्यवस्था की है। इसके साथ ही निपाह वायरस के संक्रमण पर नज़र रखने के लिए 19 समितियां बनाई हैं। हाई रिस्क कैटेगरी वाले किसी शख़्स में अब तक किसी तरह के लक्षण नहीं दिखे हैं। हमारे पास मेडिकल कॉलेज में 75 कमरों को आइसोलेशन के लिए तैयार किया गया है। वहीं, मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराए गए 13 लोगों में हल्के लक्षण पाए गए हैं।”

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, कोझिकोड से निपाह वायरस की ख़बर फैलने के बाद केंद्र की एक टीम केरल पहुंच गई है। इस टीम ने निपाह वायरस प्रभावित इलाके का दौरा किया है।कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया है ताकि इस क्षेत्र से निपाह वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने निपाह प्रभावित क्षेत्रों में जाने के लिए मोबाइल वायरॉलजी लैब को रवाना किया है। NiV एक तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे। लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे।

साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था और इस तरल पदार्थ तक वायरस को लेने जानी वाले चमगादड़ थे जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है। इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि भी हुई। और ऐसा भारत के अस्पतालों में हुआ है। इंसानों में NiV इंफ़ेक्शन से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है। इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है। सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक़ निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है।

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