असंभव को संभव कर दिखाया भाजपा ने, कांग्रेस हुई परास्त
रायपुर। लोकतंत्र के संग्राम में भाजपा ने अपनी खोई हुई ख्याति को पुनः स्थापित करने में सफल हुई है। देश के पांच राज्यों में सम्पन्न विधान सभा चुनाव में से तीन राज्यों में जनता ने मोदी की गारंटी पर मुहर लगा दी है।
छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस के कार्य कलापो से जनता कितनी नाखुश थी जिसे सत्ता से बेदखल कर जता दिया है। सरगुजा और बस्तर संभाग जैसे सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्रों के मतदाताओं ने भी कांग्रेस के सभी योजनाओं को नकार दिया है। सरगुजा के राजा टी एस सिंहदेव के अम्बिकापुर सीट के साथ ही अन्य तेरह सीटों में हार का कारण कांग्रेसियों के लिए सोच का विषय बन गया है। वहीं बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में भी हार जाना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय होगा।
वहीं दुर्ग ग्रामीण से मंत्री रहे ताम्रध्वज साहू का हार का कारण उनके अपनो को माना जा रहा है। उनके गृह और लोक निर्माण मंत्री रहने के बावजूद वे रिसाली नगर निगम के कार्यो में ही उलझे रहे।वहीं दुर्ग जिले को अपने किले के रूप में मानने वाले विधायक अरूण वोरा से कांग्रेसी ही नाराज रहे। जिसके कारण उन्हें भारी पराजय का मुख देखना पड़ा है। इसी तरह वैशाली नगर से कांग्रेस ने मुकेश चन्द्राकर जैसे नये प्रत्याशी को वरिष्ठजनो की उपेक्षा कर मैदान में उतारा था जिसे वर्षो से कांग्रेस की राजनीति कर रहे नेताओं को गवारा नही लगा और लगभग वे प्रचार प्रसार में हील-हवाला करते रहे, जोकि हार का कारण बना।
परिसिमन के बाद पाटन से अलग हुए अहिवारा विधानसभा से पहली बार डोमनलाल कोर्सेवाड़ा ने भाजपा से पहली बार विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त किया था। उन्होंने अहिवारा से महापौर निर्मल कोसरे को हराकर भारी मतों से जीत हासिल की है।
पाटन विधानसभा जिस पर सभी राजनीतिज्ञ नजरें जमाये हुए थे, क्योंकि इस सीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मुकाबला भतीजे और सांसद विजय बघेल से था। जिस पर भूपेश बघेल ने जीत दर्ज कर ली है।
पूर्व के वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने वैशाली नगर के अलावा सभी दुर्ग जिले के 5 विधानसभाओं में जीत हासिल की थी वहीं 2023 में भाजपा के 4 एवं कांग्रेस से सिर्फ 2 विधायको को जनता ने जीत का आशिर्वाद दिया है।