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सीजेआई जब कहीं जाते हैं तो क्या होता है उनका प्रोटोकॉल, पालन कराना किसकी जिम्मेदारी

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण (बीआर) गवई ने शीर्ष पद पर पदोन्नत होने के बाद महाराष्ट्र की अपनी पहली यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल में चूक पर नाराजगी जताई है. महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में गवई ने राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) या नगर पुलिस आयुक्त द्वारा उनका स्वागत करने के लिए उपस्थित न होने की ओर इशारा किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ समान हैं और उन्हें एक-दूसरे के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए.

सीजेआई बीआर गवई ने कहा, “अगर राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी या मुंबई पुलिस कमिश्नर वहां नहीं आना चाहते हैं जब सीजेआई, जो महाराष्ट्र से हैं पहली बार वहां पहुंचे हैं. यह उन पर निर्भर है कि वे इस बारे में सोचें कि यह सही है या नहीं.” उन्होंने कहा कि यह संस्था के अन्य अंगों द्वारा न्यायपालिका के प्रति सम्मान का प्रश्न है. उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रोटोकॉल के पालन पर जोर नहीं दे रहे हैं. गवई ने कहा, “जब किसी संस्था या संगठन का प्रमुख पहली बार राज्य में आ रहा हो. खासकर जब वह भी उसी राज्य का हो. तो उन्हें खुद सोचना चाहिए कि उनके साथ किया गया व्यवहार सही था या नहीं.”

सीजेआई के लिए तय है खास प्रोटोकॉल
भारत के मुख्य न्यायाधीश जब देश के किसी भी शहर में जाते हैं तो उनके लिए एक विशेष प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है. यह प्रोटोकॉल उनकी गरिमा, सुरक्षा और पद के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए होता है. यह प्रोटोकॉल कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक निकायों के बीच सम्मान और मर्यादा बनाए रखने का एक तरीका है. यह लोकतंत्र के तीनों स्तंभों (न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका) के बीच परस्पर सम्मान को दर्शाता है. इसमें कोई चूक होती है तो इसे गंभीर माना जाता है और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है.