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भारत ने दबाई कमजोर नस, तो फड़फड़ाने लगे मोहम्‍मद यूनुस, ताबड़तोड़ लगाने लगे गुहार

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UN ने रिफ्यूजियों के लिए कुछ नियम-कायदे बना रखे हैं, मानवीयता जिसका मुख्‍य आधार है. दुनियाभर के देश मानवीय आधार पर दर-बदर हुए लोगों को आश्रय उपलब्‍ध कराते हैं, पर इसके दुरुपयोग के उदाहरण भी कम नहीं हैं. भारत भी इसका पीड़ित देश है. पड़ोसी बांग्‍लादेश से सैकड़ों हजारों की तादाद में लोग बेहतर जीवन की तलाश में बिना किसी वैलिड डॉक्‍यूमेंट के सीमा पार कर देश में घुस आते हैं. इस गोरखधंधे में बिचौलिये अहम भूमिका निभाते हैं. अवैध रूप से भारत में दाखिल होने के बाद ये अवैध बांग्‍लादेशी देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में फैल जाते हैं. इसके बाद इनका असली खेल शुरू होता है. भ्रष्‍ट अधिकारियों से साठगांठ कर ये लोग भारतीय पहचान पत्र (जैसे वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड) बनवा लेते और फिर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने लगते हैं. ये अवैध बांग्‍लादेशी देश के गरीब-गुरबों का हक तो मारते ही हैं, सुरक्षा के लिए भी खतरा बन जाते हैं. इसे देखते हुए भारत सरकार ने इन अवैध बांग्‍लादेशियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. विभिन्‍न राज्‍यों में इनकी पहचान कर इन्‍हें प्रॉपर चैनल के माध्‍यम से वापस भेजा जा रहा है. भारत के एक्‍शन की गूंज ढाका तक सुनाई पड़ने लगी है. मोहम्‍मद यूनुस की अगुआई वाली बांग्‍लादेश सरकार इससे बिलबिला उठी है और नियमों की दुहाई देते हुए गुहार लगाने लगी है.

दरअसल, डोनाल्‍ड ट्रंप ने दोबारा अमेरिकी राष्‍ट्रपति का पद संभालने के बाद अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. उनकी पहचान कर उन्‍हें वापस संबंधित देश भेजा जाने लगा. नेशनल सिक्‍योरिटी और रोजगार को इसकी मुख्‍य वजह बताई गई. भारत में तो दशकों से अवैध बांग्‍लादेशी प्रवासियों की समस्‍या रही है. साल 1971 (तत्‍कालीन पूर्वी पाकिस्‍तान) से पहले पाकिस्‍तानी सरकार और फौज के दमनचक्र के चलते हजारों लाखों की तादाद में बांग्‍लादेशी भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए थे. बांग्‍लादेश का गठन होने के बाद अब बेहतर जिंदगी की तलाश में बड़ी तादाद में बांग्‍लादेशी बिना किसी वैध दस्‍तावेज के भारत में घुस जा रहे हैं और देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में फैल जा रहे हैं. कई गंभीर आपराधिक मामलों में इन अवैध बांग्‍लादेशियों के नाम आ चुके हैं. इसके बाद सुरक्षाबल और खुफिया एजेंसियों ने इनके खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. इनकी पहचान कर इन्‍हें वापस भेजा जाने लगा है, पर भारत के इस कदम से मोहम्‍मद यूनुस काफी परेशान दिख रहे हैं. बांग्‍लादेश नियमों का हवाला देने लगा है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि अपने नागरिकों की स्‍वदेश वापसी से मोहम्‍मद यूनुस इतने बेचैन क्‍यों हो गए हैं?