कला जोड़ती है. दो लोगों को, दो देशों को, दो दिलों को… कला का कुछ ऐसा ही जुड़ाव देखने को मिला, जब तुर्किए की मिस नेटली बस्तर पहुंती. 4790 KM की दूरी तय करके बच्चों के बीच वो काफी खुश दिखीं. बस्तर क्षेत्र के कांकेर के इन बच्चों को क्या पता था कि दूर देश की एक महिला उनकी कला से इस कदर जुड़ जाएगी कि वह उनसे मिलने खुद पहुंचेगी. दरअसल जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी बसा गांव है आतुरगांव.
यहां स्वच्छता मिशन के तहत ऑनलाइन वर्कशॉप के दौरान गांव की स्कूली छात्राओं ने पेंटिंग सीखने की इच्छा जताई. यूरोपीय राष्ट्र तुर्किए की मिस नेटली ने ऑनलाइन पेंटिंग सीखने की बात कही. बच्चों ने हामी भरी और 5 दिसंबर से हर शुक्रवार दोपहर में एक घंटे बच्चों को पेंटिंग सीखने लगी. भाषा बाधा बनी तो स्कूली शिक्षिका हेमलता वर्मा ने बच्चों की समस्या दूर की और उन्हें ट्रांसलेट कर समझाने लगी. फिर क्या था बच्चे 4 महीने से हर शुक्रवार को नेटली से पेंटिंग सीखने लगे.
स्कूल प्रशासन ने नेटली का किया स्वागत
सीखने के बाद नेटली आज तुर्किए से उत्तर बस्तर कांकेर पहुंची. नेटली का स्वागत स्कूल प्रशासन और बच्चों ने सुंदर तरीके से किया. नेटली के सतग आये मानस कुमार ने बताया कि दो महीने पहले स्वच्छता मिशन के तहत वाटर हेड इंडिया जल संरक्षण और हेल्थ व हाइजीन पर आयोजित एक वर्कशॉप में तुर्किए की मिस नेटली आतुरगांव स्कूल के छात्रों से चर्चा करते उन्हें जागरूक कर रही थीं. इसी दौरान कुछ छात्रों ने पेंटिंग सीखने इच्छा जाहिर की.
कक्षा 9वीं और 11वीं के 30 स्टूडेंट्स सीख रहे है पेंटिंग
नेटली अंग्रेजी में कहती उसे स्कूल की व्याख्याता हेमलता वर्मा ट्रांसलेट कर बच्चों को हिंदी में समझती. बच्चे 4 महीने से ऑनलाइन माध्यम से पेंटिंग सिख रहे हैं. वर्तमान में कक्षा 9वीं व 11वीं के 30 छात्र पेंटिंग सीख रहे हैं. मानस ने आगे बताया कि नेटली स्वयं पेंटिंग की एक अच्छी कलाकार हैं. आतुरगांव के छात्रों से पहले नेटली अमेरिका तथा बार्सिलोना के छात्रों को भी ऑनलाइन पेंटिंग सिखा चुकी हैं.