इंडोनेशिया में एक नया बवाल खड़ा हो गया है. राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो भारत से इंगडोनेशिया लौटने के बाद संकट में आ गए हैं. वह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर अतिथि के रूप में भारत आए थे. अब उनकी सरकार संकट में घिर गई है. दरअसल हजारों छात्रों ने गुरुवार को देश भर के शहरों में बजट कटौती और राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो की अन्य नीतियों के खिलाफ ‘डार्क इंडोनेशिया’ विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों को डर है कि सुबिआंतो की नीतियों सामाजिक सहायता प्रणाली और उनका भविष्य कमजोर हो जाएगा.
काले वस्त्र पहने लगभग एक हजार छात्र-छात्राओं ने हाथों में तख्तियां लिए हुए मार्च किया. छात्रों ने प्रमुख शहर योग्याकार्टा में व्यस्त मार्ग से मार्च निकाला तथा परिवर्तन की मांग करते हुए नारे लगाए. यह कदम प्रबोवो के भारी चुनाव जीत के बाद पदभार ग्रहण करने के चार महीने बाद उठाया गया है.
राजधानी जकार्ता और सुमात्रा द्वीप के मेदान समेत अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए. कटौती के बारे में चिंताओं को दर्शाने के लिए सोशल मीडिया पर ‘डार्क इंडोनेशिया’ ने खूब चर्चा बटोरी. एक और लोकप्रिय ट्रेंड, ‘जस्ट एस्केप फर्स्ट’ में लोगों को यह सलाह देते हुए देखा गया कि कैसे काम करने और विदेश में रहने के लिए भागना है. जकार्ता में एक छात्र नेता हेरिएंटो ने कहा कि छात्र शिक्षा क्षेत्र में कटौती का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि प्रबोवो ने लगभग 19 बिलियन डॉलर मुक्त करने के लिए लागत-कटौती अभियान का आदेश दिया था. जिसका उपयोग स्कूल लंच योजना सहित उनकी नीतियों को निधि देने के लिए किया जा सकता है.
जकार्ता में विरोध प्रदर्शन में बोलते हुए, राज्य सचिवालय मंत्री प्रसेत्यो हादी ने कहा कि सरकार को छात्रों की माँगें मिल गई हैं और वह उनका अध्ययन करेगी. प्रबोवो के कार्यालय ने कहा है कि फंडिंग में बदलाव से शिक्षा क्षेत्र और शिक्षक कल्याण पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन मंत्रालयों द्वारा खर्च की एक विस्तृत श्रृंखला में कटौती करने से चिंता है कि इससे सरकारी सेवाएँ बाधित हो सकती हैं.