प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फ्रांस दौरे पर हैं. बुधवार तड़के वह फ्रांस के मार्सिले पहुंचे. पीएम मोदी आज इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) साइट भी जाएंगे. यह एक प्रमुख साझेदार वैज्ञानिक प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी को बनाना है. इसमें भारत एक अहम साझेदार है. इसमें भारत का भी योगदान है. इसके रिएक्टर में मेड इन इंडिया क्रायोस्टेट लगा है. भारत भी न्यूक्लियर एनर्जी का सरताज बनना चाहता है. भारत भी अपने यहां परमाणु ऊर्जा यानी न्यूक्लियर एनर्जी को बढ़ावा देने चाहता है. इस तरह न्यूक्लियर एनर्जी का उपयोग करने की दिशा में पीएम मोदी का यह दौरा काफी अहम है. अब सवाल है कि आखिर भारत को इसमें कितना समय लगेगा और उसे कितने पैसों की जरूरत होगी.
दरअसल, न्यूक्लियर एनर्जी के मामले में भारत भी ग्लोबल लीडर बनना चाहता है. परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत ने रिसर्च में 2 बिलियन डॉलर (1,73,02,26,53,800 रुपए) से ज्यादा का निवेश करने का वादा किया है. साथ ही निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानूनों में बदलाव भी करेगा.जिसका इशारा बीते दिनों बजट सत्र में निर्मला सीतारणण ने किया. बिजली उत्पादन बढ़ाने और उत्सर्जन को कम करने की योजना के तहत भारत के वित्त मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में ये घोषणाएं की थीं.
कितने घर होंगे रोशन
परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाने का एक ऐसा तरीका है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है. जीरो कार्बन उत्सर्जन होता है और हवा जहरीली भी नहीं होती. हालांकि, इससे रेडियोधर्मी कचरा जरूर पैदा होता है. भारत दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैसों को उत्सर्जित करने वाले देशों में से एक है. यहां 75% से ज्यादा बिजली अभी भी जीवाश्म ईंधन को जलाकर पैदा की जाती है, जिसमें ज्यादातर कोयला इस्तेमाल होता है. भारत का लक्ष्य साल 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट की परमाणु एनर्जी क्षमता हासिल करना है. इससे लगभग 6 करोड़ भारतीय घरों को एक साल तक बिजली दी जा सकेगी.