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महाराष्ट्र में GBS वायरस का कहर… पुणे के बाद अब मंबई में 1 मौत, 8 हुआ मरने वालों का आंकड़ा

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महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर लगातार बढ़ रहा है. जीबीएस नर्व्स से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. जीबीएस वायरस से जान गवाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. पिछले दिनों पुणे में हुई मौत के बाद अब मुंबई में इस वायरस ने एक मरीज को अपना शिकार बनाया है. मुंबई के नायर अस्पताल में वेंटिलेटर पर भर्ती 53 साल के मरीज की मौत हो गई. मुंबई में जीबीएस संक्रमण से ये पहली मौत है. इस तरह से भारत में अब तक मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 8 हो गया है.

जीबीएस से मरने वाले वडाला (मुंबई) निवासी 53 वर्षीय ये मरीज बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्य कर रहे थे. बीमार होने से इनका कई दिनों से इलाज चल रहा था.

अस्पताल में GBS का एक और मरीज भर्ती

महाराष्ट्र के पुणे और इसके आसपास के इलाकों में पिछले दिनों जीबीएस के केस मिले थे, लेकिन अब राज्य की राजधानी मुंबई में 1 मरीज की मौत हो हुई है. ऐसा होने से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है. हालांकि, पिछले दिनों मुंबई में ही जीबीएस से संक्रमित एक 16 साल की लड़की भी मिली थी. 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली यह लड़की पालघर की रहने वाली है. इन लड़की का भी इलाज नायर अस्पताल में ही चल रहा है.

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में वेंटिलेटर की जरूरत कब?

नोएडा के अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. अजय कुमार प्रजापित ने News18 को बताया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) नर्वस सिस्टम से जुड़ा एक रेयर डिसऑर्डर है, जो इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होने से पैदा होता है. कई मामलों में वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद भी जीबीएस की कंडीशन आ सकती है. ये इंफेक्शन जब छाती में फैलता है तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है. इस स्थिति को ‘छाती में पैरालिसिस’ कहा जाता है. अगर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की वैक्सीन की बात करें, तो इस बीमारी की रोकथाम के लिए अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसका सही ट्रीटमेंट किया जा सकता है. कुछ दवाएं और थेरेपी के जरिए जीबीएस से रिकवरी हो सकती है.

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम रोग?

जीबीएस एक दुर्लभ और गंभीर तंत्रिका तंत्र विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) अपने ही तंत्रिका तंतुओं पर हमला करना शुरू कर देता है. यह शरीर के तंत्रिका तंत्र के तंतुओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पैरों या हाथों में लकवा जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

जीबीएस वायरस का उम्र से कोई लेना देना नहीं

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को लेकर कई लोगों में भ्रांति है कि यह सिर्फ बच्चों में होता है. लेकिन, डॉक्टर की मानें तो GBS वायरस किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. इसका उम्र से कोई लेना-देना नहीं है.

नई नहीं है बीमारी, बच्चे आ रहे चपेट में

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी नई नहीं है. लेकिन पुणे, पिंपरी चिंचवड़ सहित कुछ अन्य जिलों में अचानक बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं. हालांकि, एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में पिछले साल भी दो बच्चे इस बीमारी की गिरफ्त के साथ आए थे. हॉस्पिटल प्रशासन के अनुसार एक बच्चा 10 साल का है, जो पीडियाट्रिक आईसीयू में पिछले 8 महीने से भर्ती है, वहीं दूसरा बच्चा महज डेढ़ वर्ष का है.

GBS Virus के लक्षण जान लीजिए

हाथ और पांव में कमजोरी, लकवा जैसा महसूस करना, चलने में दिक्कत और दस्त या पेट खराब होना इसके लक्षण हैं. इसका इलाज जल्दी से करना जरूरी होता है, ताकि तंत्रिका तंत्र को ज्यादा नुकसान न पहुंचे. उपचार में आमतौर पर इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन या प्लाज्मा एक्सचेंज जैसी विधियां शामिल होती हैं. अगर आपको या आपके किसी परिजन को इसके लक्षण महसूस हों, तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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