देश में अपनी तरह के पहले और अनूठे नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर (NMACC) में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वार्षिक उत्सव ‘परंपरा’ शुरू किया गया. इस मौके पर उत्सव की अगुवाई करते हुए नीता अंबानी ने गुरु और शिष्य के संबंधों को लेकर बहुत ही सुंदर स्पीच दिया. उनकी बातों में भारतीय परंपरा की झलक दिखी तो गुरु को लेकर सम्मान औैर संस्कार भी दिखा.
नीता अंबानी ने अपने स्पीच की शुरुआत सभी कलाकारों, मित्रों और सेंटर में उपस्थित दर्शकों के अभिवादन से की. कहा- मैं तहे दिल से आप सभी का NMACC में स्वागत करती हूं. सबसे पहले आप सभी को गुरु पूर्णिमा की असंख्य शुभकामनाएं. गुरु पूर्णिमा के इस अवसर पर हम ‘परंपरा’ कार्यक्रम के जरिये अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. गुरु पूर्णिमा उत्सव गुरु और शिष्य के बीच एक खास रिश्ते को दर्शाने के लिए मनाया जाता है. गुरु नाम आते ही एक गहरी पवित्रता का अहसास होता है. उन्होंने अपने ससुर श्री धीरूभाई अंबानी को अपना सबसे प्रिय गुरु बताया.
क्या है गुरु का अर्थ
नीता अंबानी ने कहा- यदि गुरु शब्द का अर्थ देखें तो गु का मतलब होता है अंधकार और रु का अर्थ होता है उजाला. यानी, गुरु शिष्यों के जीवन में अंधकार को दूर करते हैं और उजाले से भर देते हैं. एक गुरु हमारा शिक्षक, मेंटोर, गाइड, सहायक और सारथी होता है. कृष्ण से लेकर द्रोणाचार्य तक, मैत्रेयी से चाणक्य तक और सावित्रीबाई फुले से लेकर स्वामी विवेकानंद तक. भारत को समय-समय पर कई ऐसे प्रेरक गुरुओं का साथ मिला. उन्होंने न सिर्फ अपने शिष्यों के जीवन को बदला, बल्कि आने वाली पीढि़यों को भी प्रेरित किया.
मुझे भी मिला गुरु का साथ
उन्होंने कहा- मुझे भी अपनी जीवन यात्रा में गुरुओं का साथ मिला और उन्होंने मुझे वैसा बनने में बहुत मदद की जो आज मैं हूं. मेरी माता का नाम भी पूर्णिमा है. गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर मैं सभी माता-पिता और अभिभावकों के प्रति पहले गुरु, शिक्षक, मेंटोर और रोल मॉडल के तौर पर सम्मान जताना चाहती हूं. वे हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमें गाइड करते हैं और जीवन की अमूल्य शिक्षाएं भी देते हैं.
ससुर को बताया सबसे इंस्पायरिंग गुरु
नीता अंबानी ने कहा आज इस अवसर पर मैं अपने सबसे प्रिय और इंस्पायरिंग गुरु मेरे फादर इन लॉ (ससुर) श्री धीरूभाई अंबानी को याद करना चाहूंगी. आने वाली 6 जुलाई को पापा (धीरूभाई अंबानी) की 21वीं पुण्यतिथि भी है, लेकिन वह आज भी जिंदा हैं. न सिर्फ हमारे दिलों में, बल्कि लाखों भारतीयों के दिलों में भी आज वो जिंदा हैं. आज हम हृदय की गहराईयों और सम्मान के साथ पापा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.