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सिंहस्थ 2028 से पहले कान्ह और सरस्वती नदी होगी कब्जे से मुक्त, डेढ़ हजार निर्माण टूटेेंगे

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 उज्जैन

चार साल बाद उज्जैन मेें लगने वाले सिंहस्थ मेल के लिए शिप्रा नदी शुद्धिकरण की शुरुआत इंदौर से होगी। कान्ह और सरस्वती नदी शिप्रा मेें मिलती है और सबसे ज्यादा यह दोनो नदियां ही शिप्रा को प्रदूषित करती है। इंदौर नगर निगम दोनो नदियों को प्रदूषण से मुक्त करेगा। पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। इसके लिए उसके आसपास से कब्जे भी हटाए जाएंगे।

कलेक्टर आशीष सिंह ने अतिक्रमण हटाने के लिए अफसरों की बैैठक भी ली है। नदी के कब्जे हटने से इंदौर मेें जलजमाव की समस्या भी दूर हो जाएगी। सिंह ने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी कब्जे हटाने के लिए कहा है। सर्वे के बाद डेढ़ हजार अतिक्रमण चिन्हित किए है। प्रभावितों को आवास भी दिए जाएंगे। नदी के आसपास 30 मीटर तक कब्जे हटाए जाएंगे।

इंदौर के कबीटखेड़ी क्षेत्र में 200 करोड़ की लागत से 300 एमएलडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है, लेकिन शहर का फैलाव निरंजनपुर, लसुडि़या, मांगलिया तक हो चुका है और वहां भी सीवरेज का पानी नदी में मिल रहा है।

इन क्षेत्रों में है कब्जे

कर्बला पुल से लेकर मच्छी बाजार तक दोनो तरफ नदी के आसपास अतिक्रमण है। इनमें जवाहर नगर, काटजू काॅलोनी, बारा भाई बस्ती शामिल हैै। स्वदेशी मिल से भागीरथपुरा बस्ती तक सबसे ज्यादा अतिक्रमण हुए है। इस बस्ती को प्रशासन ने नोटिस भी दिया हैै। इसके अलावा कुलकर्णी भट्टा क्षेत्र में भी 300 से ज्यादा कब्जे नदी के दोनो तरफ हैै। मध्य क्षेत्र में कान्ह नदी पर चंपा बाग, रानीपुरा, तोड़ा बस्ती,श्यामाचरण शुक्ल नगर, शिवशक्ति नगर, छावनी में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो चुके है। जिन्हें अब हटाया जाएगा।

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