कर्नाटक में चुनावी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे हैं. कांग्रेस नेतृत्व उनको सीएम बनाने के पक्ष में है. जबकि डीके शिवकुमार की अध्यक्ष के रूप में मेहनत और उनके मैनेजमेंट कौशल को देखते हुए उनको डिप्टी सीएम और कई अहम मंत्रालयों का ऑफर दिया जा सकता है. कांग्रेस के सूत्रों ने ये भी कहा कि डीके शिवकुमार से ये भी कहा गया है कि उनके खिलाफ ईडी के मामले हैं. जिनको लेकर बीजेपी केंद्र सरकार में रहते हुए बखेड़ा खड़ा करेगी, इसलिए सीएम बनाने से मुश्किल हो सकती है. डीके शिवकुमार सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हर बात मानने के लिए तैयार हैं, लेकिन वो कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं चाहते हैं
हाई-वोल्टेज कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस विजेता के रूप में उभरी है. उसने 224 में से 135 सीटें हासिल की. बीजेपी ने 65 सीटें जीतीं, जबकि जेडी (एस) ने 19 सीटें जीती. चुनाव में दो स्वतंत्र उम्मीदवार भी जीते और कल्याण राज्य प्रागाथी पक्ष और सर्वोदय कर्नाटक पक्ष ने एक-एक सीट जीती. किंगमेकर बनने की उम्मीद कर रही JD-S ने 19 सीटें जीती, जो पिछली बार की 37 सीटों से कम है. उसका वोट शेयर भी पिछले चुनाव में 18 प्रतिशत से घटकर 13.32 प्रतिशत हो गया.
नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में बड़े पैमाने पर हुए जश्न के बीच पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘मुझे खुशी है कि हमने नफरत, खराब भाषा का उपयोग किए बिना कर्नाटक के चुनावों में चुनाव लड़ा. हमने चुनावों को प्यार से लड़ा. कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हो गया है और प्यार की दुकान को खोला गया.’ उन्होंने कहा कि गरीबों की ताकत ने क्रोनी कैपिटलिस्ट की शक्ति को हराया है और यह सभी राज्यों में होगा.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गवर्नर थावचंद गेहलोत को अपना इस्तीफा दे दिया. कर्नाटक की जनता ने मास लीडर सिद्धारमैया और शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस के गरीब समर्थक आक्रामक अभियान को अपना समर्थन दिया. इस तरह से राज्य में हर चुनाव में सरकार बदलने की 38 साल पुरानी प्रवृत्ति जारी रही. 1985 के बाद से कर्नाटक में कभी भी किसी पार्टी की सरकार को लगातार दूसरी बार फिर से नहीं चुना गया है.