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कुम्हारी के नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकने को मजबूर, जनप्रतिनिधि और कर्मचारी हो गये उदासीन

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कुम्हारी। प्रदेश में वर्तमान नगर निगम और अन्य नगरीय निकाय का कार्यकाल के कुछ ही दिन शेष रह गये हैं, ऐसे में सत्ता परिवर्तन का प्रभाव भी सभी क्षेत्रों में दिखने लगा है। जिससे कांग्रेस के जनप्रतिनिधि निष्क्रिय हो गये हैं,जो कि लगभग प्रदेश के सभी निगमों और पालिकाओं में दिखाई देने लगा है।

    कुम्हारी नगर पालिका अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर ने सत्ता परिवर्तन के बाद ही अपने अधिकार समाप्त होते देख प्रेसिडेंट इन कौंसिल को भी भंग कर हाथ पर हाथ रख बैठ गये हैं। वहीं केन्द्रीय योजनान्तर्गत घर घर नल-जल योजना कार्यों के तहत सभी 24 वार्डों में सड़कों को खोदकर पाईप लाईन डालने सीमेंट रोड को उखाड़ दिया गया है। जिसके कारण पूर्व के सड़कें,पाईप लाईन क्षतिग्रस्त हो गये हैं। सही रूप में कुम्हारी नपा में हुए इस 25 वर्षों में जितने भी सड़कें,पाईप लाईन बिछाये गये थे वे सभी खराब हो चुके हैं।
   कांग्रेस की सरकार ने पिछले 5 वर्ष सत्ता जरूर संभाली थी लेकिन विकास कहीं देखने नहीं मिलता है। वार्डों और गलियों में सीमेंटीकरण,पाईप लाईन में कोई सुधार नजर नहीं आते। वैसे क्षेत्रीय विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पाटन विधानसभा क्षेत्र के इकलौते नगर पालिका परिषद में लगातार बहुमत लाकर चौथी बार अपने चहेते युवा नेता राजेश्वर सोनकर को कमान सौंपा,और लगभग 350 करोड़ रूपये विभिन्न विकास कार्यों के लिए प्रदान किये। मुख्य रूप से खेल मैदान, तालाबों का उन्नयन या सौंदर्यीकरण जैसे कार्यों में खर्च किये गये लेकिन इन विकास कार्यों का जनता से कोई सरोकार नहीं रहा। नगरवासियों का मानना है यदि इन पैसों से पेयजल,सड़क,आवास जैसे जन उपयोगी कार्यों में किया जाता तो शायद कुम्हारी नगर पालिका का नक्शा कुछ अलग ही होता और आदर्श नगरीय निकाय में शामिल हुआ होता।
कुम्हारी नपा के अन्तर्गत परसदा और कुगदा जैसे गांव शामिल हैं जहां के निवासी आज भी रेल्वे फाटक के कारण समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें घण्टों फाटक खुलने के इंतजार में धूप और बारिश में खड़े रहकर इंतजार करने मजबूर होना पड़ता है।
     मतदाता अपने नेतृत्वकर्ता का चयन इसी आस से करती है कि उनके मूलभूत समस्याओं से निजात दिलाने में सहयोग करेंगे। लेकिन अफसोस की बात है लगातार एक ही विधायक और सांसद के कई बार जीत दर्ज करने के बावजूद रेल्वे फाटक पर खड़े रहने से 25 वर्षों में छुटकारा मिल पाया, और ना ही सड़क,पेयजल की उचित व्यवस्था स्थानीय प्रशासन कर सकी है।

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