Home राष्ट्रीय बंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया जा...

बंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया जा रहे उसके बेटे को विदा करने के लिए पैरोल प्रदान की

7

मुंबई
बंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया जा रहे उसके बेटे को विदा करने के लिए पैरोल प्रदान की और कहा कि यदि दुख बांटने के लिए पैरोल दी जा सकती है तो, खुशी के अवसर पर यह मिलनी चाहिए। अदालत ने कहा कि दोषियों को थोड़े समय के लिए सशर्त रिहाई दी जाती है, ताकि वे बाहरी दुनिया से संपर्क में रह सकें और अपने पारिवारिक मामलों की व्यवस्था कर सकें, क्योंकि जेल में रहते हुए भी अपराधी किसी का बेटा, पति, पिता या भाई होता है।

ऑस्ट्रेलिया जा रहे बेटे को विदा करने के मांगी थी पैरोल
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने नौ जुलाई के अपने आदेश में कहा कि पैरोल और फरलो के प्रावधानों को समय समय पर दोषियों के प्रति “मानवतावादी दृष्टिकोण” के रूप में देखा गया है। अदालत विवेक श्रीवास्तव नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने आस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय में अपने बेटे की शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस और अन्य खर्चों का प्रबंध करने तथा उसे विदा करने के लिए पैरोल मांगी थी। अभियोजन पक्ष ने इस दलील का विरोध करते हुए दावा किया कि पैरोल आम तौर पर आपातकालीन स्थितियों में दी जाती है और शिक्षा के लिए पैसे का इंतजाम करना व बेटे को विदा करना ऐसे आधार नहीं हैं जिन पर पैरोल दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अभियोजन पक्ष के इस तर्क को समझने में विफल रहा।

'श्रीवास्तव को दस दिन की पैरोल मंजूर कर ली'
अदालत ने कहा, "दुख एक भावना है, खुशी भी एक भावना है और अगर दुख साझा करने के लिए पैरोल दी जा सकती है, तो खुशी के मौके या पल को साझा करने के लिए क्यों नहीं।" अदालत ने श्रीवास्तव को दस दिन की पैरोल मंजूर कर ली। श्रीवास्तव को 2012 के एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे 2018 में दोषी ठहराया गया था और 2019 में उसने अपनी सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here