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पेट्रोल-डीजल, जेट फ्यूल और कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स में कटौती करेगी सरकार! किसे होगा फायदा

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केंद्र सरकार जल्द ही घरेलू तेल रिफाइनरों पर विंडफाल गेन टैक्स में संशोधन कर सकती है. सीएनबीसी-टीवी18 ने 29 सितंबर को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी. 16 सितंबर को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक सर्कुलर के अनुसार, सरकार ने स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर अपनी पांचवीं पाक्षिक समीक्षा के बाद 13,000 रुपये प्रति टन से घटाकर 10,500 रुपये कर दिया. इसके अतिरिक्त, इसने डीजल और एटीएफ के निर्यात टैक्स को भी कम कर दिया है. सरकार के इस कदम से रिलायंस इंडिया लिमिटेड और ओएनजीसी जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा मिलेगा.

सूत्रों ने कहा कि कच्चे तेल पर उपकर, डीजल और एटीएफ पर निर्यात शुल्क में और कटौती की जा सकती है. सूत्रों के हवाले से दी गई खबर के अनुसार, पेट्रोलियम मंत्रालय ने पिछले एक पखवाड़े में वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आंकड़े राजस्व विभाग को सौंपे हैं.

भारत में पहली बार कब लगा था विंडफाल टैक्स
भारत ने पहली बार 1 जुलाई को विंडफाल टैक्स लगाया था. इसके बाद भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया, जो एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के असाधारण मुनाफे पर कर लगाते हैं. लेकिन तब से अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें ठंडी हो गई हैं, जिससे तेल उत्पादकों और रिफाइनर दोनों के लाभ मार्जिन में कमी आई है.

1 जुलाई को पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) टैक्स लगाया गया था. घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन (40 डॉलर प्रति बैरल) पर 23,250 रुपये प्रति टन का विंडफाल टैक्स भी लगा था. 20 जुलाई, 2 अगस्त, 19 अगस्त, 1 सितंबर और 16 सितंबर को पिछले 4 दौर में आंशिक रूप से इन टैक्सेज़ को एडजस्ट किया गया है.

क्या है विंडफाल टैक्स
विंडफॉल टैक्स ऐसी स्थितियों में लगाया जाता है जब किसी कंपनियों या सेक्टर को अचानक बेहद ऊंचा मुनाफा होता है. इस टैक्स में लगातार बदलाव किया जाता है. स्थितियां सामान्य होते ही इन्हें वापस ले लिया जाता है. बीते एक साल में कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेज उछाल देखने को मिला है. कीमतों में लगातार तेजी से कंपनियों को रिफाइन किये गए उत्पादों और क्रूड की बिक्री पर तेज फायदा हुआ है इस वजह से टैक्स लगाया गया.

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