राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रर्वतन निदेशालय (ED) ने देश के 11 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इण्डिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी करके 106 लोगों की गिरफ्तारी की है. पीएफआई की फण्डिंग और नेटवर्क से देश के विभिन्न हिस्सों में आंतकी घटनाओं को बढ़ाने के मामलों में पांच मामले दर्ज हुए हैं. पीएफआई जैसे संगठन भारत समेत पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बने हैं. हड़ताल के नाम पर पीएफआई के उपद्रव और हिंसा के खिलाफ केरल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि कर्नाटक में हिजाब आंदोलन के उभार के पीछे पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों का हाथ था. पिछले 15 सालों में पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान और यू.पी. जैसे कई राज्यों में पीएफआई का विस्तार हुआ है. इस विषबेल को और अधिक फैलने से रोकने के लिए अब PFI पर बैन लगना ही चाहिए
अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों के साथ भारत में PFI के खिलाफ एक्शन हो
एनआईए के मुताबिक PFI विदेशों से चंदा लेकर भारत में आतंकी मॉड्यूल तैयार करता है. विदेशी फंडिग से भारत के खिलाफ दुष्प्रचार होता है. मदरसों में बच्चों और युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें आन्दोलनों और आतंकी घटनाओं से जोड़ा जा रहा है. पीएफआई का लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के साथ तालमेल है. लश्कर के आतंकवादी साजिर मीर को संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डालने के लिए भारत ने प्रस्ताव दिया है. इस पर चीन की अडंगेबाजी के खिलाफ भारत के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीखा कटाक्ष किया है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकियों के खिलाफ आवाज उठाने के साथ पीएफआई जैसे संगठनों के खिलाफ भी भारत के कानून के तहत सख्त कार्रवाई करना जरुरी है. भारत में पीएफआई जैसे संगठन के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई केंद्र सरकार द्वारा Unlawful Activities (Prevention) Act -1967 (UAPA) की धारा-3 के तहत हो सकती है.
PFI के पुराने संगठन सिमी पर 2001 में बैन लगा था
असम समेत कई राज्यों में पुलिस और जांच एजेंसियों को पीएफआई के आतंकी मॉड्यूल की जानकारी हुई है. पुलिस को धोखा देने के लिए पीएफआई ने अपने कई विंग और सहायक संगठनों का गठन किया है. इनमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इण्डिया (एसडीपीआई) कैंपस फ्रन्ट ऑफ इण्डिया (सीएफआई), नेशनल वुमन फ्रंट, ऑल इण्डिया इमाम काउंसिल, रिहैब इण्डिया फाउण्डेशन और एचआरडीएफ जैसे संगठन शामिल हैं.
हवाला, तस्करी और गैर-कानूनी फण्डिंग
एनआईए की जांच के अनुसार तुर्की की एनआईओ और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से पीएफआई को बड़ी फण्डिंग मिलती है. इसका इस्तेमाल भारत में अराजकता, हिंसा, आतंकवाद और मजहबी उन्माद फैलाने के लिए हो रहा है. वित्त मंत्रालय के इनकम टैक्स विभाग ने सन् 2020 में केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट से तीस किलो सोना जब्त किया था. एनआईए की जांच के अनुसार इस तस्करी के पीछे पीएफआई का हाथ था. पीएफआई का फण्डिंग नेटवर्क खाड़ी समेत कई देशों में फैला है. हवाला के जरिये आये हुए पैसे को गरीब श्रमिकों के नाम से डोनेशन दिखाकर पीएफआई के खातों में जमा होता है.
जून 2022 में ईडी के अनुसार PFI के खातों में लगभग 120 करोड़ रुपये हवाला और नगदी के माध्यम से जमा हुए हैं. विदेशी चंदे को स्थानीय चंदे के रुप में दर्शाकर देश विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना संगीन अपराध है, काले धन और हवाला जैसी गतिविधियों के लिए आयकर कानून के साथ PMLA कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. पीएफआई को बैन करने के साथ गैर-कानूनी तरीके से अर्जित सारी संपत्तियों की भी जब्ती होनी चाहिए.
PFI पर बैन के लिए कई राज्यों की मांग
एनआईए के मुताबिक पीएफआई देश के 23 राज्यों में सक्रिय है. उनमे से कई राज्यों से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. पिछले साल 2021 में आईबी और पुलिस अधिकारियों की लखनऊ में आयोजित सालाना बैठक में आसाम, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना के अधिकारियों ने पीएफआई के माध्यम से बढ़ रहे रेडीक्लाइजेशन और आतंकवाद का विवरण दिया था. उनके अनुसार पीएफआई ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से गरीब मुस्लिम युवाओं को नफरत और आतंक के रास्ते में ढकेल रहा है. NIA के छापों के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री, गृह सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSANSA) और एनआईए के महानिदेशक ने शीर्षस्तर पर मीटिंग करके पीएफआई के आतंकी मॉड्यूल का आंकलन किया.
सरकार का मानना है कि प्रतिबंध की कार्रवाई से पहले सभी पहलुओं पर विचार होगा जिससे आगे चलकर कोई कानूनी अड़चन ना हो. सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का गठन हो गया और PFI पर बैन के बाद नए संगठन बन सकते हैं. ऐसे संगठनों की कमर तोड़ने के लिए जरुरी है कि एजेंसियों की समन्वित जांच से पूरी तरह से बेनकाब करने के साथ कानून के तहत तुरंंत प्रतिबंध भी लगे. इसके लिए केंद्र को राज्य सरकारों के साथ मिलकर जल्द और ठोस कदम उठाने होंगे.