बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी (Kashi) में गंगा फिर उफान पर है. इस सीज़न में तीसरी बार उफान से एक बार फिर घाट किनारे रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालात ये हैं कि घाटों का सम्पर्क मार्ग टूटने के साथ ही अब प्रशासन ने भी नाव संचालन पर दोबारा रोक लगा दी है. इसका असर ये है कि एक बार फिर नाव से रोज़ी रोटी कमाने वालों पर संकट खड़ा हो गया है और यात्री तो परेशान हो ही रहे हैं. नाविकों के अलावा घाटों पर पूजा-पाठ और कर्मकांडों से जुड़े लोगों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है.
19 दिन बाद गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी (Varanasi) में 4 सेंटीमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है. सोमवार रात 10 बजे तक गंगा का जलस्तर 65.80 मीटर दर्ज किया गया. तेज़ी से उफान के कारण घाटों पर पूजा पाठ करने वाले पुरोहितों के अलावा नाविक भी खासे परेशान हैं. पुरोहितों को हर दिन अपनी चौकी का स्थान बदलना पड़ रहा है क्योंकि घाटों पर पानी बढ़ रहा है, तो नाविक अपनी नावों को सुरक्षित रखने के लिए रात भर पहरा देने पर भी मजबूर हैं.
शवयत्रियों की भी बढ़ी मुश्किलें
इनके अलावा गंगा में उफान के चलते काशी के श्मशान घाटों पर भी शवयत्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शवदाह का प्लेटफार्म जलमग्न होने के कारण लोगों को अंतिम संस्कार आदि के लिए इंतज़ार भी करना पड़ रहा है. मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट, दोनों जगहों पर ऐसे ही हालात दिख रहे हैं.
ये नदियां भी उफान पर
जानकारों की मानें तो गंगा ही नहीं, बल्कि यमुना, चम्बल और घाघरा नदी के उफान के कारण गंगा के जलस्तर में भी तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है. पिछले दिनों बाढ़ की मार झेल चुके वाराणसी में आने वाले कुछ दिनों तक जलस्तर में बढ़ोत्तरी की आशंका जताई गई है. बता दें कि फाफामऊ से प्रयागराज और मिर्जापुर से बनारस तक गंगा का जलस्तर बढ़ना बदस्तूर जारी है.