लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. चुनाव में कई बड़े दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं. मोदी सरकार में कई मंत्रियों से लेकर कांग्रेस और बाकी पार्टियों के कई बड़े नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन इसी चुनाव में कुछ ऐसे उम्मीदवार भी रहे हैं, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की.
निर्दलीय चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह, कश्मीरी नेता इंजीनियर राशिद और इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह का बेटा सरबजीत सिंह खालसा भी शामिल है.
2019 के चुनाव में चार निर्दलीय उम्मीदवार संसद पहुंचे थे. जबकि 2014 के चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था. इस बार कम से कम छह निर्दलीय उम्मीदवार संसद पहुंचे हैं.
1. मोहम्मद हनीफाः लद्दाख सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा ने कांग्रेस उम्मीदवार शेरिंग नामग्याल को हरा दिया है. हनीफा ने नामग्याल को 27,862 वोटों के अंतर से चुनाव हराया.
2. इंजीनियर राशिदः बारामूला सीट से निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर अब्दुल राशिद शेख ने जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन को शिकस्त दी है. अब्दुल राशिद शेख ने उमर अब्दुल्ला को दो लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव हराया.
3. अमृतपाल सिंहः वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब सीट से चुनाव जीत लिया है. अमृतपाल सिंह असम के डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है. अमृतपाल सिंह ने कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को 1.97 लाख वोटों से हराया है.
4. उमेशभाई बाबूभाई पटेल: दमन और दीव सीट से निर्दलीय उम्मीदवार पटेल उमेशभाई बाबूभाई ने बीजेपी के लालूभाई बाबूभाई पटेल को 6,225 वोटों के अंतर से हरा दिया है. दमन और दीव सीट पर 15 साल बाद बीजेपी की हार हुई है.
5. विशाल प्रकाशबाबू पाटिलः महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल (दादा) प्रकाशबाबू पाटिल ने बीजेपी के संजय काका पाटिल को एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हरा दिया है. विशाल पाटिल को 5.71 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं.
6. सरबजीत सिंह खालसाः पंजाब की फरीदकोट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सरबजीत सिंह खालसा ने आम आदमी पार्टी के करमजीत सिंह अनमोल को 70 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार दिया. सरबजीत सिंह खालसा पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं.
7. राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव: पप्पू यादव बिहार की पूर्णिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार थे. उन्हें 56.75 लाख वोट मिले हैं. पप्पू यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 23847 वोटों से हराया है. पप्पू यादव इससे पहले भी दो बार निर्दलीय सांसद रहे हैं और दोनों ही बार वह पूर्णिया सीट से ही संसद पहुंचे थे. पप्पू यादव ने पूर्णिया लोकसभा सीट से 1991 और 1999 का चुनाव भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार ही जीता था.
1957 में जीते थे सबसे ज्यादा निर्दलीय
बता दें कि 25 साल से अधिक उम्र का कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ सकता है. सबसे ज्यादा 42 निर्दलीय उम्मीदवार 1957 के चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे थे. इससे पहले 1952 के चुनाव में 37 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. 1962 में 20, 1967 में 35, 1971 में 14 और 1989 में 12 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. वहीं, 1991 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी.