कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन दिल्ली चुनाव 2025 में पिछले तीन चुनावों की तर्ज पर ही बेहद फीका रहा. राहुल गांधी की पार्टी राजधानी में एक बार फिर खाता तक नहीं खोल पाई. 70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. साल 1998 से 2013 तक लगातार दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस के लिए वजूद बचाने की जद्दोजहद अब भी जारी है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की हार से आखिर कांग्रेस इतनी खुश क्यों हैं. राहुल गांधी के खुश होने की एक या दो नहीं बल्कि पांच मुख्य वजह हैं. 5वां कारण तो ऐसा है, जिसे जानकर बीजेपी को भी ‘करंट’ लग सकता है. चलिए एक-एक कर हम आपको इनके बारे में बताते हैं.
अरविंद केजरीवाल पिछले 10 सालों में नेशनल पॉलिटिक्स में तेजी से अपना वर्चस्व बढ़ाते नजर आ रहे हैं. चाहे पंजाब हो या फिर गोवा, गुजरात हो या जम्मू-कश्मीर हर राज्य में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी है. इंडिया गठबंधन में भी तमाम रीजनल पार्टियां केजरीवाल को काफी तवज्जो देते हैं. दो राज्यों में आप की सरकार थी जो अब केवल पंजाब में रह गई है. आने वाले वक्त में केजरीवाल का कद घटने से राहुल गांधी को फायदा होगा.
पिछले साल के अंत में हुए हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को जीत का मजबूत दावेदार माना जा रहा था लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने यहां बाजी मारी तो इसकी मुख्य वजह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बनी. ऐसा इसलिए क्योंकि आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन नहीं हो पाया. केजरीवाल की पार्टी को करीब पौने 2 परसेंट वोट मिले. वोट बंटने के कारण राहुल गांधी के हरियाणा में सरकार बनाने के मनसूबों का बट्टा लग गया. कुछ ऐसा ही हाल गुजरात में भी कांग्रेस का हुआ था.
दिल्ली हारने के बाद अब अरविंद केजरीवाल के सामने अगली सबसे बड़ी चुनौती पंजाब में अपनी सरकार बचाने की है. दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में भी कांग्रेस पार्टी के वोट काटकर आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी. केजरीवाल को यह डर सता रहा है कि अगर इसी तर्ज पर पंजाब में भी वोट बंटे तो वहां बीजेपी-अकाली सरकार फिर बाजी मार जाएगी. दूसरी और लोकसभा चुनाव में आप ने पंजाब की 13 सीटों में से महज 3 पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को यहां 7 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस का पंजाब में अच्छा खासा जनाधार है.
दिल्ली में अब साल 2030 में विधानसभा चुनाव हैं. मौजूदा दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल ने राजधानी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि उनके पास शहर में जनाधार नहीं है. अब जब बारी 2030 के दिल्ली चुनाव की आएगी तो उन्हें बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस को बराबरी का दर्जा देना होगा.
कांग्रेस पार्टी के पास मौजूदा वक्त में ले-देकर केवल दो राज्यों में सरकार है. राहुल गांधी की पार्टी के सीएम हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में हैं. संगठन चलाने के लिए हर पार्टी को धन की जरूरत होती है. पार्टी को चंदा भी केवल तभी मिलता है जब उनकी ज्यादा से ज्यादा राज्यों में सरकार हो. यही वजह है कि पिछले 10 सालों से कांग्रेस पार्टी हर राज्य में गठबंधन के साथी तलाश रही है. आप की दिल्ली में करारी शिकस्त के बाद अब अरविंद केजरीवाल को दिल्ली से लेकर हरियाणा, गुजरात, पंजाब और गोवा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का मजबूर होना पड़ सकता है. ऐसा करने से कांग्रेस और आप दोनों को ही फायदा मिलेगा. वहीं, अबतक आप और कांग्रेस के बीच वोट बंटने का फायदा उठाकर आसानी से सरकार बनान लेने वाली बीजेपी को दोनों का गठबंधन होने से ‘करंट’ लग सकता है. दिल्ली चुनाव पर ही नजर डाले तो बीजेपी को यहां करीब 45 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को करीब 43 प्रतिशत वोट मिले हैं, लेकिन कांग्रेस के करीब 6 प्रतिशत वोट बटने के कारण अधिकांश फंसी हुई सीट पर मामूली अंतर से बीजेपी ने बाजी मार ली. दोनों में गठबंधन हुआ तो कई राज्यों से बीजेपी का आने वाले वक्त में सूपड़ा साफ भी हो सकता है.