प्रयागराज
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर-मस्जिद विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में दलील दी है कि मामला सुनने योग्य नहीं है जबकि हिंदू पक्ष का तर्क है कि जमीन नियमों के खिलाफ दी गई है। हिंदू पक्ष की ओर से केस लड़ रहे एडवोकेट दिनेश शर्मा फलाहारी ने बताया कि इलाहबाद हाई कोर्ट में शुक्रवार को हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की सभी अधिवक्ताओ अपनी दलीलें कोर्ट के समक्ष रखी हैं। बहस के दौरान लिमिटेशन एक्ट, वक्फ बोर्ड एक्ट और वरशिप एक्ट 1991 पर बहस हुई।
मुस्लिम पक्ष ने बार-बार उन्ही बिंदुओं पर बहस जारी रखी जिन बिंदुओं पर मथुरा न्यायालय में बहस हुई थी। हिंदू पक्ष की तरफ से सभी अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा और कहा कि यहां पर लिमिटेशन एक्ट,वरशिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता है, हिंदू पक्ष की एडवोकेट सत्य वीर सिंह ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है वहां पर वरशिप लागू नहीं होता है।
हिंदूवादी नेता दिनेश शर्मा ने कहा कि इस जमीन पर पहले भी कई बार केस चल चुका है, इसलिए भी यहां परवरशिप एक्ट लागू नहीं होता है और उन्होंने कहा कि यहां पर लिमिटेशन एक्ट भी प्रभावी नहीं है, हिंदू पक्ष की तरफ से माननीय न्यायालय में पहले ही सभी प्राचीन साक्ष्य जमा हो चुके हैं,उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास तो बिजली का बिल भी नहीं है जिसको वह दिखा सके और कह सकें कि अल्लाह का घर है।
एडवोकेट दिनेश शर्मा ने कहा कि अब उनका संकल्प पूरा होने जा रहा है, उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर से मस्जिद नहीं हटेगी तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे और ना ही अपने पैरों में जूता चप्पल पहनेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा से, न्यायालय के सहयोग से हमारा संकल्प जल्दी पूरा होगा और अयोध्या की तरह मथुरा में भी भगवान श्री कृष्ण भगवान मंदिर निर्माण होगा।
इस मौके पर एडवोकेट बीनू सिंह, एडवोकेट शिवकुमार यादव, आशुतोष पांडे, एडवोकेट प्रखर श्रीवास्तव और एडवोकेट देवेंद्र विक्रम सिंह मौजूद रहे। प्रयागराज हाई कोर्ट ने 89 में मयंक जैन की कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया है। सभी सनातनी हिन्दुओं को फैसला का इंतजार है।