रायपुर। 21 वर्ष पहले 4 जून 2003 को राकपा के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी। उसके बाद उनके बेटे सतीश जग्गी ने मौदहापारा थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने 31 मई 2007 को कुछ आरोपियों को बरी करते हुए शेष आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के 27 दोषियों की अपील को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। अदालत के फैसले के बाद बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि भगवान के घर देर जरूर है लेकिन अंधेर नहीं है।
डिवीजन बेंच ने बीती 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर गुरुवार को आदेश जारी किया गया है। उम्रकैद की सजा पाने वालों में 2 तत्कालीन CSP और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह शामिल हैं।