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पहलगाम में कायराना हमले के बाद साथ देने के लिए शुक्रिया, होंडुरास के मंत्री से बोले जयशंकर

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पहलगाम में निर्दोष हिन्‍दू पर्यटकों का नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव बहुत गहरा गया. इंडियन आर्म्‍ड फोर्सेज ने आतंकवादियों और उन्‍हें संरक्षण देने वालों को ऐसा सबक सिखाया कि वे इसे सालों तक याद रखेंगे. भारत ने पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकी शिविरों पर एयर स्‍ट्राइक कर उन्‍हें तबाह कर दिया. जैश-ए-मोहम्‍मद और लश्‍कर-ए-तैयबा के अड्डों पर भी हमला किया गया है. अब पाकिस्‍तान सरकार आतंकवादियों क इन अड्डों को दोबारा से बनाने के लिए फंड देने की तैयारी कर रही है. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अब डिफेंस मिनिस्‍टर राजनाथ सिंह जम्‍मू के दौरे पर जा रहे हैं. वहां वह जवानों से मुलाकात करेंगे और सुरक्षा व्‍यवस्‍था की समीक्षा भी करेंगे.

पहलगाम आतंकी घटना के बाद 7 मई भारत के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ लेकर आई. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया कि अब आतंकवादी हमलों पर भारत चुप नहीं बैठेगा. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज दो सप्ताह बाद की गई थी. भारत ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के 9 आतंकवादी कैंपों को निशाना बनाया. इनमें सवाई नाला (मुझफ्फराबाद), सय्यदना बिलाल कैंप (मुझफ्फराबाद), गुलपुर कैंप (कोटली), बरनाला कैंप (भीमबर), अब्बास कैंप (कोटली), सरजल कैंप (सियालकोट), महमूना जोया कैंप (सियालकोट), मरकज़ तैय्यबा (मुरीदके) और मरकज़ सुब्हानअल्लाह (बहावलपुर) आतंकी कैंप शामिल थे.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को इस प्रकार अंजाम दिया गया कि केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया जाए, जिससे किसी प्रकार के व्यापक युद्ध से बचा जा सके. रणनीतिक स्तर पर यह भारत की सैन्य नीति में एक बड़ा बदलाव था. इसका दायरा सीमित था, लेकिन करारा जवाब था. प्रसिद्ध ऑस्ट्रियाई सैन्य इतिहासकार टॉम कूपर ने भारतीय वायुसेना की इस रणनीति को ‘क्लियर कट जीत’ करार दिया है. उनके अनुसार, ‘पाकिस्तान की बौखलाहट इस बात का प्रमाण है कि भारत की योजना कितनी कारगर थी.’ उन्होंने जिक्र किया कि पाकिस्तान की ‘परमाणु धमकी’ की रणनीति असफल रही, क्योंकि भारत ने डरने की बजाय जवाबी कार्रवाई करते हुए अपनी स्थिति को और मजबूत किया और अंत में पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलने के बाद संघर्ष विराम के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा.

जब लगभग पूरी दुनिया ने भारत के इस कदम का समर्थन किया, तब कुछ देश ऐसे भी थे जो पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आए. उन्हीं में से एक है तुर्की, जिसकी वजह से अब भारत में ‘बायकॉट तुर्की’ का नारा ज़ोर पकड़ रहा है. तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से अपना रुख साफ कर दिया. इसका असर भारत में तुरंत देखने को मिला. कई ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म ने तुर्की के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग पर रोक लगा दी, लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. भारतीय व्यापारियों ने भी तुर्की से आने वाले सेबों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया. नतीजतन तुर्की के सेब अब बाजार से लगभग गायब हो चुके हैं.