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ऑपरेशन सिंदूर की आग में धधका पाकिस्तान, ये नाम नहीं हिमांशी -ऐशन्या के न्याय की पुकार है

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छह और सात मई की दरम्यानी रात को जब पाकिस्तान पर भारत के मिसाइल अटैल की खबर आई तो एशन्या द्विवेदी नींद की तलाश में खोई हुई थी. पति शुभम द्विवेदी के खोन का गम कम होने का नाम नहीं ले रहा. यही हाल हिमांशी नरवाल का रहा होगा. शुभम और हिमांशी के पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल 22 अप्रैल को पहलगाम की सुरम्य वादियों में थे जहां पाकिस्तान परस्त लश्कर के आतंकियों ने उनका धर्म पूछ कर सीने में गोली मार दी. ताउम्र गम की कोठरी में दाखिल हुई ऐशन्या से जब पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर अटैक के बारे में पूछा गया तो रूंधे गले से वो बोलती है – ऑपरेशन सिंदूर सुनते ही मैं बहुत रोई. शुभम की तस्वीर को देखा. उन जल्लादों ने मेरा सुहाग ही तो उजाड़ा है. इसलिए जब सुना कि मेरे पति के हत्यारों के खिलाफ ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखा गया तो लगा मानो कोई मेरे घर से ही बदला लेने निकला हो. जो खोई हूं उसे कोई वापस नहीं ला सकता लेकिन सुकून तो मिला है.

सुबह होते होते ये खबर मिली कि तीनों सेनाओं के चीफ के साथ मीटिंग में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद पहलगाम के बदले का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखने का सुझाव दिया था जिसे मान लिया गया. सिंदूर शादीशुदा हिंदू महिलाओं का प्रतीक है. यह प्यार और शादी के बंधन को दर्शाता है. पाकिस्तान में यह हमला सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं है बल्कि पहलगाम की उन महिलाओं के लिए न्याय की पुकार है जिनके पतियों को आतंकियों ने निशाना बनाया.