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छत्तीसगढ़ में जल का ‘महासंकट’!

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एक पुरानी कहावत है- बिन पानी सब सून ! 15 अधिक नदियों वाले छत्तीसगढ़ की हालत कुछ ऐसी ही होने वाली है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंकड़े और हालात बयां कर रहे हैं. आंकड़ों पर हम आगे बात करेंगे पहले हालात को समझ लेते हैं. राज्य में कहीं लोग पानी को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं तो कहीं शादियां टूट रही हैं. कई जगहों पर लोगों के लिए साफ पानी एक सपना जैसा बन चुका है. राज्य की प्रमुख नदियों में शामिल अरपा सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है. दुर्ग जिले के अंजोरा ढाबा गांव में तो संकट इतना भीषण है कि लोग पानी के लिए अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. राजधानी रायपुर के रीवां गांव में कोई लड़की बहू बनकर नहीं आना चाह रही है क्योंकि वो अपनी प्यास से समझौता नहीं करना चाहती. आगे बढ़ने से पहले अब आंकड़ों को भी जान लेते हैं…जिससे स्थिति की भयावहता को समझने में आसानी होगी

पानी के लिए अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल
सबसे पहले बात दुर्ग जिले के अंजोरा गांव की, जहाँ प्यास ने इंसानों को भूख से भी बड़ा संघर्ष सिखा दिया है. 2500 की आबादी वाले इस गांव में जैसे ही फरवरी की शुरुआत हुई, एक-एक कर सभी ट्यूबवेल सूख गए. अब गांव का एकमात्र चालू ट्यूबवेल ही लोगों की प्यास बुझा रहा है, वह भी सिर्फ “ईश्वर भरोसे” चल रहा है. जब तमाम शिकायतों के बाद भी कोई एक्शन नहीं हुआ तो मजबूरी में यहां के लोग अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं यानी यहां भूख से बड़ी प्यास हो गई है. इसी गांव के धर्मेश देशमुख कहते हैं- हम लोग पानी की समस्या को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल कर रहे हैं. हमने दो महीने पहले कलेक्टर से गुहार लगाई थी लेकिन फायदा नहीं हुआ. उन्होंन PHE विभाग को निर्देश दिया था लेकिन PHE विभाग का कहना है कि हमारे पास टैंकर नहीं है, हम पानी की सप्लाई नहीं कर सकते,उनके पास केवल हैंडपंप लगाने का प्रावधान है.

पानी के संकट की वजह से दुर्ग जिले के अंजोरा गांव में तो ग्रामीणों को भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा है.

रायपुर के रीवां में रुक गईं शादियां
अंजोरा ही क्यों,प्यास ने तो पूरे छत्तीसगढ़ की मिट्टी को चिट्ठी लिख दी है. रायपुर के रीवां गांव में पानी की कमी से अलग ही समस्या खड़ी हो गई है. यहां शादियां टूट रही हैं क्योंकि कोई लड़की उस गाँव में बतौर बहू आकर अपनी प्यास से समझौता नहीं करना चाहती. यहां के ग्रामीण अक्षय बताते हैं- पानी है ही नहीं यहां, समझ नहीं आता जीवन कैसे चलेगा? जशपुर दिले के कटहरपारा में भी हालात खराब है. यहां पानी की एकमात्र उम्मीद एक कुआँ है. जिसमें भी गंदा पानी आता है. ग्रामीण सुमति चौहान का कहना है- हम गंदा पानी बहुत दिनों से पी रहे हैं, सुनने वाला कोई नहीं है, हमने कई बार शिकायत की है, लेकिन समस्या को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए.

महिलाओं को दूर-दूर से पानी भरकर लाना पड़ रहा है.

अरपा नदी खुद ढूंढ रही है अपना अस्तित्व
गर्मी के बढ़ते प्रकोप के बीच बिलासपुर की अरपा नदी खुद अपनी सूखती धारा में अपना ही अक्स ढूंढ रही है. यहां के स्थानीय नागरिक बिरहनलाल श्रीवास बताते हैं कि अरपा पूरे शहर से घिरी हुई है, वहां गंदा पानी भी जाता है. अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो बड़ी समस्या होगी. आने वाले वक्त में अरपा को ढूंढना भी मुश्किल हो जाएगा. बेमेतरा जिले के गाँव भी जल समस्या से बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां की नदियां भी करीब-करीब सूख गई हैं. ग्रामीण शत्रुघ्न साहू बताते हैं कि अब पानी को पाना काफी मुश्किल हो गया है. नदी सूखने के कारण नल, बोरिंग कुछ नहीं चल रहा है. ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां नदी सूख गई है.

सरकार ने कहा- ठोस पहल कर रहे हैं
दरअसल छत्तीसगढ़ की मिट्टी के नीचे भी प्यास बढ़ती जा रही है और कई इलाके सूखे की चपेट में हैं. राज्य के उप मुख्यमंत्री अरुण साव से जब हमने सवाल किया तो उन्होंने बताया- लोगों को निस्तारी के लिए पानी मिले और पीने के लिए पानी मिले इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है. हम ठोस पहल कर रहे हैं जिसका नतीजा जल्द दिखाई देगा. अब ये देखने वाली बात होगी की सरकार कौन-कौन से ठोस कदम उठा रही है क्योंकि राज्य के एक बड़े हिस्से में जमीन के नीचे का पानी तेजी से खाली होता जा रहा है.सवाल यही है- पानी के बिना ये धरती कैसे जिएगी

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