वित्त मंत्रालय जल्द ही ‘एक राज्य-एक रीजनल रूरल बैंक’ योजना लागू करने जा रहा है. इसका मकसद कामकाज को बेहतर करना और लागत को कम करना है. सूत्रों ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में चल रहे 15 रीजनल रूरल बैंक का विलय किया जाएगा. वित्त मंत्रालय 43 आरआरबी की संख्या को कम कर 28 तक लाना चाहता है.
रीजनल रूरल बैंकों के कंसोलिडेशन के मसले से जुड़े ज्यादातर काम पूरे हो चुके हैं और जल्दी ही कंसोलिडेशन का चौथा राउंड शुरू होगा. अब तक कंसोलिडेशन के 3 राउंड हो चुके हैं. वित्त मंत्रालय के रोडमैप के मुताबिक, जिन राज्यों में आरआरबी का कंसोलिडेशन होगा, उनमें आंध्र प्रदेश (4), उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (3-3) और बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान (2-2) शामिल हैं.
FY05 में शुरू हुई थी स्ट्रक्चरल कंसोलिडेशन
केंद्र सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2004-05 में आरआरबी के स्ट्रक्चरल कंसोलिडेशन की पहल की थी, जिसके बाद 3 फेज में ऐसे इंस्टीट्यूशंस की संख्या 2020-21 तक 196 से घटकर 43 रह गई.
क्या होते हैं रीजनल रूरल बैंक
रीजनल रूरल बैंक एक तरह के कॉमर्शियल बैंक होते हैं. केंद्र सरकार अलग-अलग राज्यों में रीजनल लेवल पर इसको ऑपरेट करती है. इनके गठन का मकसद रूरल एरिया में छोटे किसानों, मजदूरों और कारीगरों को लोन और दूसरी सुविधाएं देना है. रीजनल रूरल बैंकों का गठन आरआरबी एक्ट, 1976 के तहत किया गया था. 2015 में इस कानून में बदलाव किया गया, जिसके बाद ये बैंक केंद्र, राज्य और स्पॉन्सर बैंकों के अलावा दूसरे सोर्स से भी पूंजी जुटा सकते हैं. अभी केंद्र की हिस्सेदारी 50 फीसदी, स्पॉन्सर बैंकों की 35 फीसदी और राज्य सरकारों की 15 फीसदी है.
26 राज्यों और 3 यूटी में मौजूद हैं 43 आरआरबी
31 मार्च 2024 तक, 43 आरआरबी 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख) में 22,069 ब्रांच के साथ 700 जिलों में काम कर रहे हैं