शराब की दुकानों को लेकर महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है. अगर आपकी भी सोसायटी में कोई शराब की दुकान खुली है तो अब उसे हटाया जा सकता है. सरकार के नए नियमों के अनुसार ऐसा संभव है. बस कुछ कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एक्साइज मिनिस्टर अजीत पवार ने इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है. उन्होंने आदेश दिया है कि रेजिडेंशियल सोसायटी की दुकानों में अगर शराब या वाइन शॉप खोलना हो तो उसके पास सोसायटी की NOC हर हाल में होनी चाहिए.
अजीत पवार ने कहा कि अगर किसी इलाके में 25% लोगों को लगता है कि वहां पर शराब या वाइन शॉप की दुकान है जो नहीं होनी चाहिए, तो उस इलाकों में बाकायदा सर्वे किया जाएगा. अगर सर्वे में 75% लोगों का मानना है कि उनके इलाकों में या उस जगह पर शराब या वाइन शॉप नहीं होनी चाहिए तो उस जगह पर वाइन शॉप और शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा. पवार ने मंगलवार को विधानसभा में यह कहा था कि महाराष्ट्र में साल 1972 के बाद से शराब की नई दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी गई है.
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभा की मंजूरी अनिवार्य
अजित पवार ने कहा कि आबकारी विभाग को पुरानी दुकानों को नए स्थानों पर स्थानांतरित करने के प्रस्ताव मिलते हैं. फिर उसका सत्यापन किया जाता है और उसके स्थानांतरण को मंजूरी दी जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय पुलिस की मंजूरी ली जाती है और फिर उस पर निर्णय लिया जाता है. बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों या नगर निगम की सीमा में नगर निकाय से NOC लेना अनिवार्य है और उसके बाद ही दुकान को मंजूरी दी जाती है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के मामले में ग्राम सभा का प्रस्ताव अनिवार्य है.
यह सोसायटी का अधिकार
पवार ने विधानसभा में कॉलिंग अटेंशन मोशन के दौरान सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि शहरों में नई हाउसिंग सोसाइटियां उभर रही हैं. हालांकि सोसाइटी से कोई एनओसी नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि कानून में बदलाव किए जाने की जरूरत है. यह तय करना सोसाइटी का अधिकार है कि उन्हें किस तरह की दुकानें चाहिए. जल्द से जल्द कानून में बदलाव किया जाएगा.