शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के बाद वहां की हालत खराब होती जा रही है. डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान से बांग्लादेश की गारमेंट्स इंडस्ट्री पहले ही टेंशन में है, अब एक नई मुसीबत आ गई है. यहां का झींगा कारोबार बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. फैक्टरियों में ताले पड़ गए हैं. एक्सपोर्ट में गिरावट आने और कई चुनौतियों की वजह से झींगा प्रोसेसिंग उद्योग पूरी तरह ठप होने की कगार पर है. यह भारत के लिए मौके की तरह है, क्योंकि उन मार्केट में अपनी पहुंच बना सकता है, जहां बांग्लादेश का राज हुआ करता था.
बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, कभी करोड़ों डॉलर देने वाली झींगा प्रोसेसिंग इंडस्ट्री अब गंभीर मंदी का सामना कर रही है. एक्सपोर्ट आधा रह जाने की वजह से अधिकांश झींगा फैक्ट्रियां बंद हो गईं हैं. बांग्लादेश का झींगा उद्योग हजारों लोगों को नौकरी देता था. यह देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी था. लेकिन कच्चे माल की कमी, एक्सपोर्ट में गिरावट, पर्यावरण में बदलाव और सरकार बनने-गिरने की वजह से यह डूब गया है.
109 फैक्टरियों में से 48 ही चल रहे
बांग्लादेश फ्रोजन फूड्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (BFFEA) के अनुसार, 109 झींगा प्रोसेसिंग कारखाने थे, लेकिन इनमें से केवल 30 खुलना में और 18 चटगांव में चल रहे हैं. बाकी में ताले लग गए हैं. इन कारखानों की वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 4 लाख टन है, लेकिन उन्हें आवश्यक झींगा उत्पादन का केवल 7 प्रतिशत ही प्राप्त हो रहा है. इस कमी के कारण पहले ही कई फैक्ट्रियां बंद होने को मजबूर हो गई हैं. कंपनियों को अपनी जरूरत का केवल 25-30 प्रतिशत झींगा ही मिल पा रहा है. इसकी वजह से कई बार बीच में ही फैक्ट्री बंद करनी पड़ रही है.
भारत झींगा का एक प्रमुख निर्यातक है. भारत से झींगा अमेरिका, जापान, और यूरोपीय यूनियन के बाजारों में भेजा जाता है. 2023-24 में भारत ने 17,81,602 मीट्रिक टन झींगा एक्सपोर्ट किया, इसकी कुल कीमत 60,523.89 करोड़ थी. अमेरिका ने भारत से 2,97,571 मीट्रिक टन फ्रोजन झींगा इंपोर्ट किया था. बांग्लादेश का श्रिम्प झींगा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. यूरोप के अधिकांश देशों में बांग्लादेश ये झींगा एक्सपोर्ट करता है. बांग्लादेश के झींगा निर्यात का 90% से अधिक हिस्सा EU के देशों में में ही जाता है. अब भारत इन देशों में एक्सपोर्ट कर सकता है. इससे भारत में रोजगार के मौके बढ़ेंगे.