अमेरिका में बेहतर जिंदगी की तलाश में हर साल हजारों भारतीय लाखों रुपये खर्च कर अपना देश छोड़ते हैं. लेकिन कई बार यह सपना एक डरावने सफर में बदल जाता है. कुछ ऐसा ही पंजाब के होशियारपुर जिले के ठाकरवाल गांव में रहने वाले रकिंदर सिंह के साथ हुआ. 41 साल के रकिंदर 12 साल तक ऑस्ट्रेलिया में काम कर चुके थे. 2020 में वापस लौटे तो सोचा कि अपने तीन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका चला जाए. इसके लिए उन्होंने एक ट्रैवल एजेंट को 45 लाख रुपये दिए, जिसने वादा किया था कि वह उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचाएगा. लेकिन यह वादा सिर्फ एक धोखा था. यह कहानी है अमेरिका जाने के ‘डंकी रूट’ की.
WhatsApp पर अलग-अलग नामों से डीलिंग
एक अनजान एजेंट, जिसका नाम तक असली नहीं था. द इंडियन एक्सप्रेस को आपबीती सुनाते हुए रकिंदर ने बताया कि उन्हें 45 लाख एक अनजान एजेंट ‘साबू’ को देने पड़े, जो सिर्फ व्हाट्सएप कॉल पर बात करता था. उन्होंने कभी साबू को देखा नहीं था. उसकी कोई तस्वीर नहीं थी, कोई पक्की पहचान नहीं थी. हर किसी से वह अलग-अलग नामों से बात करता था, कभी ‘राजा’, कभी ‘लियो’. पैसे लेने के लिए हर देश में उसके आदमी मौजूद थे. रकिंदर को तभी शक हुआ जब उन्होंने देखा कि उनके जैसे कई और लोगों को भी उसी व्हाट्सएप नंबर से कॉल्स आ रहे थे. लेकिन हर किसी से एजेंट अलग नाम से बात कर रहा था.
महीने के दरम्यान 14 देशों से होकर गुजरे.
दुबई से दक्षिण अफ्रीका, फिर ब्राज़ील, जहां एजेंट के लोगों ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया. इसके बाद वे बोलिविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास, ग्वाटेमाला, मैक्सिको तक पहुंचे. इस सफर में जंगल, खतरनाक रास्ते, बिना खाना-पानी के कई दिन बिताने पड़े. अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पार करने के लिए उन्हें एक सीढ़ी से बाड़ कूदनी पड़ी.
हद तो तब हुई जब झूठ बोलकर उन्हें पनामा के जंगल में छोड़ दिया गया. रकिंदर ने कहा कि पनामा के घने जंगलों को पार करना इस सफर का सबसे भयानक हिस्सा था.
‘जहरीले सांपों से भरा जंगल पार किया’
एजेंट के आदमियों ने कहा कि एक जहाज मिलेगा जो उन्हें जंगल पार कराएगा. लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो कोई जहाज नहीं था. फिर उन्हें बताया गया कि अब उन्हें पैदल ही जंगल पार करना होगा. यह जंगल जहरीले सांपों और खतरनाक नदियों से भरा था. रकिंदर ने बताया, “हम जंगल में दिन में चलते थे और रात में टेंट में सोते थे. लेकिन डर हमेशा बना रहता था. हमारे फोन काम नहीं कर रहे थे. एजेंट ने जो भी वादा किया था, सब झूठ था.” ठीक से खाना नहीं मिलता था, फिरौती और बंधक बनाए जाने का डर था. पूरे सफर में खाने-पीने की बहुत कमी थी.