जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में राज्य शासन की ओर से अभिवचन दिया गया कि नीट पीजी-2024 की एनआरआई रिक्त सीटें मापअप राउंड में सामान्य वर्ग से भरी जाएंगी। राज्य शासन का पक्ष रखने खड़ी हुईं अतिरिक्त महाधिवक्ता जान्हवी पंडित ने बताया कि ये सीटें योग्यता सह चयन के माध्यम से भरी जाएंगी।
हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने उक्त जानकारी को अभिलेख पर लेकर स्पष्ट किया अब इस मामले में राज्य सरकार पर उसका अभिवचन बाध्यकारी है।
मामले का पटाक्षेप कर दिया
इन शब्दों पर गौर करने के साथ ही याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने का निवेदन किया गया, जिसे हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए मामले का पटाक्षेप कर दिया। याचिकाकर्ता भोपाल निवासी डॉ. ख्याति शेखर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा।
परीक्षा में स्टेट रैंक हासिल की
उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने नीट पीजी परीक्षा में स्टेट रैंक हासिल की है। एनआरआई में फर्जी अभ्यर्थियों की भर्ती के कारण इस कोटे की 48 सीटें ब्लाक कर दी गई हैं।
मेरिट में आए विद्यार्थी ये सीटें लेने को तैयार हैं, लेकिन इन सीटों को काउंसलिंग में शामिल नहीं किया जा रहा है। ये सीटें बेकार हो जाएंगी। दूसरे राउंड की काउंसलिंग दो फरवरी तक है।
ओबीसी को 27% आरक्षण के मामले में कैविएट दायर
मध्य प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के विरोध में जनहित याचिका निरस्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर होने की संभावना है। इसी के मद्देनजर ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संदीप सेन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर की है।
यूथ फॉर इक्वालिटी की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने और राज्य में नियुक्तियों में 87:13 का फार्मूला लागू करने को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने वह याचिका 28 जनवरी को निरस्त कर दी। इसके बाद संभावना बढ़ गई है कि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।