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भरत कुमार ने बुलंद हौसलों के दम पर ऊंची उड़ान भरी,बना चन्द्रयान 3 का हिस्सा

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चरोदा-भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित चरोदा में सड़क किनारे लगी टपरी में इडली-चाय बेचने वाले भरत कुमार ने बुलंद हौसलों के दम पर ऊंची उड़ान भरी है। भरत कुमार नवंबर 2020 में अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले चंद्रयान-3 का डिजाइन तैयार करने वाली टीम का पहला हिस्सा बना।

गरीबी में पले-बढ़े भरत कुमार का चयन उसकी प्रतिभा, मेहनत और पढ़ाई के बूते पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ है।

ये “भरत कुमार” कौन हैं :–

23 साल का भरत कुमार चरोदा के जी केबिन स्थित कच्चे घर में रहने वाले चंद्रमेनेश्वर राव का बेटा है, चंद्रमेनेश्वर राव एक बैंक में बतौर सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं, अकेले पति की कमाई से घर का गुजारा नहीं हो पाता था तो भरत की मां “वनजाविसा” घर के पास एक टपरी लगाकर इडली-चाय बेचने का काम करने लगी, भरत कुमार “इसरो” में चयन होने से पहले पढ़ाई से समय निकल कर मां की मदद किया करता था।

भरत की “फीस” माफ हुई तब कर पाया आगे की पढ़ाई पूरी 

भरत कुमार का जन्म व पढ़ाई-लिखाई गरीबी में हुई मगर मां-बाप दोनों ने मजदूरी करके बेटे का चरोदा के केंद्रीय विद्यालय में दाखिल करवाया। यहां से कक्षा नौ उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई का खर्च उठा पाना भरत के परिवार के बस के बाहर था, नतीजतन भरत कुमार कक्षा नौवीं के बाद केन्द्रीय विद्यालय से अपनी टीसी कटवाने पहुंच गया ताकि किसी अन्य सस्ते स्कूल में पढ़ाई कर सके।

भरत की पढ़ाई के प्रति लगन को देखकर केन्द्रीय विद्यालय प्रबंधन ने टीसी कटवाने की वजह जाननी चाही फिर प्रयास करके भरत की आगे की स्कूल फीस माफ करवाई फीस माफ होने के साथ-साथ शिक्षकों ने आपस में मिलकर भरत के लिए किताब-कॉपियों की भी व्यवस्था की।

कक्षा 12वीं में मेरिट में आया भरत कुमार 

आगे की पढ़ाई की फीस माफ और निशुल्क कॉपी-किताब मिलने पर भरत ने मन लगाकर पढ़ाई की और 12वीं कक्षा में मेरिट में भी आया, केन्द्रीय विद्यालय की पढ़ाई पूरी होने के बाद भरत आईआईटी धनबाद में पढ़ना चाहता था मगर एक बार फिर पढ़ाई की राह में आर्थिक तंगी रोड़ा बन गई।

इस बार रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और निजी कंपनी जिंदल ने भरत कुमार की पढ़ाई का खर्च उठाया और आईआईटी धनबाद में भरत कुमार की पढ़ाई चलने लगी। जब भरत कुमार 7 वें सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर रहा था, तब वहां इसरो के कैंपस सलेक्शन में भरत कुमार का चयन हुआ। जुलाई 2019 में भरत ने इसरो ज्वाइन किया, यहां प्रशिक्षण के बाद अब वह सफल “चंद्रयान-3” मिशन के डिजाइन प्रोजेक्ट का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन गया।

भरत कुमार आईआईटी धनबाद में रहा गोल्ड मेडलिस्ट 

पढ़ाई और अपने लक्ष्य का हासिल करने के प्रति भरत कुमार की मेहनत और उत्साह देखते बनते थे। यही वजह है कि भरत कुमार 98 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल करके आईआईटी धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया।

भरत कुमार दरअसल चरोदा “जी केबिन” की तंग गलियों में कच्चे मकान में गरीबी हालात के बावजूद पढ़ाई के प्रति लगन , उत्साह और हौसला के बल पर आज इस मुकाम पर पहुॅंचा है।

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