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धन पर आधारित खुशी हमेशा नहीं रहती….ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने लोगों को खुश रहने के दिए टिप्स

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बिलासपुर जिले में सोमवार को टिकरापारा और राजकिशोर नगर सेवा केन्द्र में ‘खुशी हर पल’ शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर और टिकरापारा सेवा केन्द्र में खुशी हर पल शिविर का उमंग उत्साह के साथ शुभारंभ हुआ। इस मौके पर ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि हर पल की खुशी का आधार आत्मिक स्थिति है।

ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि आत्मा की शक्ति कमजोर होने से लोग अपनी खुशी जो आत्मा का निजी संस्कार है, वो बाहर धन-संपदा और साधनों में ढूंढने लगे हैं। आज स्थिति ये है कि जीवनसाथी की तलाश में संबंधों के स्थान पर आय प्रमुख हो गया है, लेकिन इन साधनों से प्राप्त सुख अल्पकालीन होने के कारण रिश्तों में बिखराव होने लगता है, लेकिन सदाकाल सुख प्राप्ति का कोई तो रास्ता होगा। आप सभी उसी सुख की तलाश में यहां आए हैं।

मंजू दीदी ने कहा कि 7 दिनों में राजयोग के अभ्यास की गहराइयों में पहुंचने का प्रयास करेंगे। एक बार जब परमात्म सुख की अनुभूति कर लेंगे, तो आप इसे सदा प्राप्त करना चाहेंगे और परमात्मा पिता द्वारा प्राप्त खुशी पूरी तरह से नि:शुल्क है। गायत्री बहन ने कहा कि इस शिविर का लाभ सभी ले सकते हैं। अगर आज कोई किसी कारणवश नहीं आ पाए हैं, तो वे लोग कल से इसे ज्वाइन कर सकते हैं।

रविवार को ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी का हुआ था कार्यक्रम

बिलासपुर जिले के बहतराई स्टेडियम में रविवार को प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कराया गया था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने तनाव दूर करने ‘खुशियों का पासवर्ड’ विषय पर आख्यान दिया था। इसी की अगली कड़ी में सोमवार को टिकरापारा और राजकिशोर नगर सेवा केन्द्र में ‘खुशी हर पल’ शिविर का आयोजन किया गया।

ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने कहा था कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, आप अपने लक्ष्य से डिगें नहीं। अपना स्वभाव और सोच को सकारात्मक रखकर चलें। प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ निश्चय रहें। शिवानी दीदी ने कहा कि जिन खुशियों की तलाश में हम बाहर भटकते हैं, दरअसल वह आत्मा के निजी संस्कार हैं। हम अपने मूल स्वरूप आत्मा को भूल जाते हैं और दूसरों को दुख का कारण समझ लेते हैं। वे कहती हैं कि सदा खुश रहने का मंत्र है कि मुझे क्या सोचना है यह मुझ पर निर्भर करता है।

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