राजभवन में मोहन मरकाम ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में सीएम भूपेश बघेल के साथ मुख्य सचिव अमिताभ जैन भी मौजूद रहे। राष्ट्रगान के बाद समारोह का समापन हुआ।
कांग्रेस में हुए बदलाव पर मरकाम ने क्या कुछ कहा था, सिलसिलेवार पढ़िए..
ये किस तरह का फेरबदल है, चुनाव को 4 महीने पहले ऐसा फैसला क्यों ? ..
हाईकमान समय-समय पर किस नेता की कहां उपयोगिता है इसे देखता है और वहां ड्यूटी देती है। मेरा कार्यकाल पूरा हो गया था, तीन साल का कार्यकाल था और मैंने एक साल अतिरिक्त काम किया और इस बीच संगठन को मजबूती देने का काम किया।
राष्ट्रीय अधिवेशन हम पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजित करने में सफल रहे। साढ़े 19 लाख मैंबरशिप किए, पांचों उपचुनाव जीते, 14 नगर निगम जीते और हर चुनाव में जीत हासिल की। अब बस्तर के ऊर्जावान सांसद दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बागडोर सौंपी है। हम सब मिलकर सारे कार्यकर्ता एकजुटता के साथ काम करेंगे। और 2023 में सरकार बनाने में सफल होंगे।
क्या इस फैसले के बारे में आपको पहले पता चला था ? ..
कल हाईकमान ने बता दिया था कि आपको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर दूसरी जिम्मेदारी दे रहे हैं। हांलाकि दूसरी जिम्मेदारी क्या है ये नहीं बताया गया था। लेकिन आज पता चला कि मंत्रिमंडल, सरकार में काम करने का मुझे मौका मिलेगा।
संगठन में मैंने 4 साल काम किया, अब सरकार में भी जनता की सेवा करने का मौका मिला है। मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत सभी वरिष्ठ नेताओं को धन्यवाद देता हूं।
चुनाव में चार महीने का वक्त है, और अब आप कैसे काम करेंगे ? ..
हमारे लिए 1 या 2 दिन भी पर्याप्त है, काम को काम की तरह करें तो बहुत सी संभावनाएं रहती है। हम कोशिश करेंगे की 4 महीने के कार्यकाल में भी अपनी पहचान बनाएं।
सत्ता और संगठन में बैलेंस करने के लिए आपको मंत्री बनाया गया ? ..
कोई खींचतान नहीं है। अगर खींचतान रहती तो हम कोई भी चुनाव नहीं जीतते। सत्ता और संगठन में तालमेल के साथ लगातार हमने काम किया है। इसलिए हम सभी चुनाव जीतने में सफल हुए। सीएम भूपेश बघेल की सरकार की उपलब्धियों, नीतियों और योजनाओं को भी कार्यकर्ताओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। यही हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है।
शिक्षाकर्मी से लेकर अब तक के अपने सफर पर क्या कहेंगे ? ..
कांग्रेस में प्रवेश तो मैंने 1990 में ही कर लिया था। जब मैं कक्षा 12 में था, तब शहीद महेन्द्र कर्मा के सानिध्य में मैंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की, और तब से हम लगातार काम करते रहे। हम चुनौतियों को भी चुनौती की तरह लेंगे और हर काम में सफल होंगे।
धनेन्द्र साहू को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है ? ..
इसकी कोई जानकारी मुझे नहीं है।
अब जानिए कौन हैं मरकाम
मोहन मरकाम का जन्म एक किसान परिवार में कोंडागांव जिले के टेंडमुण्डा गांव में 15 सितंबर 1967 हुआ था। उनके पिता भीखराय मरकाम एक किसान थे। मरकाम ने शासकीय सेवा के रूप में शिक्षाकर्मी वर्ग 1 व शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के रूप में भी काम किया। इसके अलावा उन्होंने कुछ दिनों तक भारतीय जीवन बीमा निगम में विकास अधिकारी और भारतीय स्टेट बैंक लाइफ में सीनियर एजेंन्सी मैनेजर के रूप में भी काम किया। लेकिन राजनीति में आने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
अब तक का सियासी सफर..
1990 में महेंद्र कर्मा की मौजूदगी में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली थी।
1993, 1998, 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट की दावेदारी भी की। लेकिन टिकट नहीं मिली।
2008 में मरकाम को पहली बार कोंडागांव सीट से चुनावी मैदान में लता उसेंडी के सामने उतारा था। जिसमें उन्हें 2771 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।
2013 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें फिर चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनाव में भी मरकाम को हार का सामना करना पड़ा था।
2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर मोहन मरकाम पर भरोसा दिखाया और इस बार उन्होंने भाजपा की लता उसेंडी को भारी मतों से हराया था।
2018 में बंपर जीत के बाद कांग्रेस ने PCC के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया, और फिर मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली।