छत्तीसगढ़ में इस साल हरेली त्योहार 17 जुलाई को है। इसे लेकर बालोद शहर के हाईटेक सी- मार्ट में पारंपरिक गेड़ी बिकने लगी है। कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इच्छा के अनुरूप बालोद जिले के सी-मार्ट में इस बार हरेली तिहार के लिए गेड़ी विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया है।
बता दें कि कि हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। त्योहार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं। गेड़ी चढ़कर ग्रामीण और कृषक समाज वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। बारिश के दौरान गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढ़कर कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है।
बांस से बनाई जाती है गेड़ियां
गेड़ियां बांस से बनाई जाती हैं। दो बांस में बराबर की दूरी पर कील लगाई जाती है। एक ओर बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है, फिर उसे रस्सी से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है।
बालोद कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने बताया कि हरेली के पर्व में गेड़ी का अपना अलग महत्व है। उन्होंने कहा कि गेड़ी के प्रचलन के पीछे हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि थी। दरअसल बारिश के मौसम में जब कीचड़ भर जाने से लोगों का सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है, तब गेड़ी पर चढ़कर लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ-जा सकते हैं। उन्हें कीचड़ लग जाने का भय नहीं होता।