भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 14 जुलाई को प्रस्तावित अपने तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 की दिशा में काफी तेजी से आगे बढ़ रही है और इसी के मद्देनजर तमिलनाडु के श्रीहरिकोटा के दूरसंचार प्रभाग (टेलीकम्युनिकेशन डिविजन) ने सोमवार से लेकर शुक्रवार को लॉन्च के दिन तक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के आसपास सभी खुदाई और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. कथित तौर पर अस्थायी प्रतिबंधों का मकसद ऑप्टिकल फाइबर केबल सहित महत्वपूर्ण संचार लाइनों की सुरक्षा करना है, जो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किए जाने वाले आवश्यक प्री-लॉन्च परीक्षणों के लिए जरूरी है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने दूरसंचार प्रभाग द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए लिखा, ‘इसरो 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3-M4 लॉन्च कर रहा है. इस संबंध में, बिना किसी रुकावट के स्थिर संचार बनाए रखना बेहद आवश्यक है. हर तरह की टेस्टिंग चल रही है.’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) इसरो के अंतरिक्ष केंद्र को जोड़ने वाले प्रमुख संचार लिंक को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, जो क्षेत्र की प्रमुख सड़कों, जैसे एनएच5 (चेन्नई-पेरंबूर-गुम्मिडिपुंडी), एनएच205 (चेन्नई-तिरुवल्लुर), स्टेट हाइवे 56 (पेराम्बुर-पोन्नेरी) और स्टेट हाइवे 50 (तिरुवल्लूर-उथुकोटाई) से होकर गुजरती है.
ये लिंक कथित तौर पर चेन्नई, कांचीपुरम, वेल्लोर और तिरुवल्लुर जिलों में वेल्लोर, आरणी, तिरुवत्तीपुरम, कांचीपुरम, चेंगलपट्टू और वंडालूर सहित विभिन्न स्थानों के लिए कनेक्टिविटी भी प्रदान करते हैं. एचटी रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है, ‘रॉकेट लॉन्च की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, 9-14 जुलाई की अवधि के दौरान सड़क चौड़ीकरण, सड़क मरम्मत और अन्य खुदाई गतिविधियों के कारण बीएसएनएल ऑप्टिकल फाइबर केबलों को होने वाली क्षति को रोकना आवश्यक है.’ संचार लाइनों की स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे मिशन को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा के प्रसारण की सुविधा प्रदान करती हैं.
इसरो का मिशन चंद्रयान-3
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 जुलाई को घोषणा की थी कि चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा और इसके लैंडर के चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है. चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जिसके चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करने की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफलता नहीं मिल पाई थी और इस लिहाज से चंद्रयान-3 मिशन को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है.