जुलाई के आज 4 दिन बीत रहे हैं और सिर्फ 31 तारीख तक ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filing) भरने का मौका है. टैक्स से जुड़े कई नियमों में बदलाव के बाद अब करदाताओं के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला एक सवाल यह है कि क्या बिना ऑडिट के ही अपना रिटर्न भरा जा सकता है. किस तरह के करदाताओं के लिए ऑडिट कराना जरूरी होता है और जिन्हें छूट मिलती है, उसके लिए क्या शर्त है. अगर बिना ऑडिट के ही टैक्स रिटर्न भर दिया जाए तो क्या होगा.
इस तरह के तमाम सवालों के जवाब हमने टैक्स एक्सपर्ट और सीए गिरीश नारंग से पूछे तो उन्होंने पूरी तस्वीर साफ कर दी. सीए ने बताया कि हर तरह की कमाई करने वालों के लिए अलग-अलग आईटीआर फॉर्म (ITR Form) होता है. नौकरीपेशा के लिए रिटर्न भरना सबसे आसान होता है, इसीलिए इस फॉर्म को सहज और सरल फॉर्म कहते हैं. ITR Form 3 थोड़ा कॉम्प्लीकेटेड होता है और इसमें नौकरी के साथ बिजनेस से होने वाली कमाई को भी शामिल किया जाता है. यही कारण है कि इस फॉर्म को भरने वाले करदाताओं के लिए ऑडिट रिटर्न भरना जरूरी होता है.
किसके लिए जरूरी है Form 3
गिरीश नारंग का कहना है कि इनकम टैक्स की धारा 44AB के तहत ऐसे करदाता जिनकी कमाई बिजनेस या प्रोफेशन के जरिये होती है, उन्हें Form 3 भरना जरूरी होता है. ऐसे करदाताओं को अपने अकाउंट बुक का ऑडिट कराने के लिए किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट को हायर करना चाहिए. सीए इसकी समीक्षा करके सभी जानकारियों की जांच करेगा. इसके लिए करदाता की रसीद और कमाई की जानकारी चाहिए होगी.
किसी मिलती है इसकी छूट
सीए के अनुसार, ऐसे करदाता जिनकी सालाना आमदनी 1 करोड़ या उससे ज्यादा है, उन्हें ऑडिट कराना जरूरी होता है. सेक्शन 44AD और 44AB के तहत अगर आईटीआर फॉर्म 3 भरने वाला कोई करदाता 8 फीसदी से ज्यादा का प्रॉफिट कमाता है तो उसे ऑडिट कराने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा होने पर अपनी कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से कर चुकाना होता है.