सुस्ती से चल रहे मानसून ने फिर रफ्तार पकड़ी है। शनिवार को एक दिन में यह छह राज्यों- मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख पहुंच गया। पूरे छत्तीसगढ़ में शनिवार को मानसून सक्रिय हो गया। वहीं, बस्तर से लेकर बिलासपुर और सरगुजा संभाग में ज्यादातर जगहों पर बारिश शुरू हो गई है।
दो दिन में पूरे छत्तीसगढ़ में मानसूनी हवा फैल गई है। वहीं, छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून के देरी से आने के कारण जून में कोटे की बारिश करीब 71 फीसदी तक कम हुई है। 24 जून तक राज्य में 126.9 मिमी बारिश होनी चाहिए। अभी सिर्फ 37.2 मिमी बारिश हुई है। इसका असर कृषि पर हुआ है। 10 से 15 जून तक मानसून की बारिश शुरू होने पर खेतों में बुआई का काम शुरू हो जाता है। इस साल 15 दिन की देरी हो गई है।
दक्षिण-पश्चिम हवा बस्तर से रायपुर होते हुए उत्तरी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और सरगुजा संभाग तक पहुंच गई है। राज्य के कई हिस्सों में अच्छी वर्षा हुई। बादल और बारिश की वजह से पिछले करीब तीन हफ्ते से चल रही तेज गर्मी कम हुई और राहत महसूस होने लगी है। दिन का तापमान सामान्य के बराबर पहुंच गया है। मौसम विभाग ने रविवार को रायपुर संभाग के कुछ हिस्सों में भारी से अतिभारी बारिश की चेतावनी दी है।
दरअसल, अगले 24 घंटे के दौरान प्रदेश के ज्यादातर जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश होगी। पिछले 24 घंटे के दौरान गरियाबंद में सबसे ज्यादा 100 मिमी बारिश हुई। मनेंद्रगढ़ में 90, मैनपुर में 70 तथा सोनहत, राजपुर, देवभोग, तोकापाल, सूरजपुर, ओड़गी, मनोरा, बगीचा, कोंडागांव, प्रतापपुर, भैयाथान, कटेकल्याण, नगरी, बेरला, बड़े राजपुर, कुनकुरी, दरभा आदि इलाकों में 50 से 10 मिमी तक वर्षा हुई। शनिवार को दिन में अंबिकापुर में करीब 18 मिमी बारिश हुई।
गाज गिरने से 4 मौतें: जशपुरनगर/ अंबिकापुर| बगीचा ब्लॉक के गांव राजपुर में शनिवार को पहाड़ी कोरवा के कच्चे मकान पर आसमानी बिजली गिर गई। इससे रतिया राम कोरवा(65) और उसकी बहू दीनामनी बाई(23) की मौके पर ही मौत हो गई। घटना में एक वृद्ध महिला घायल हुई है। वहीं, बलरामपुर जिले के रामानुजगंज क्षेत्र में ग्राम त्रिपुरी के हीरालाल (25) की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई, जबकि साथ में आए ग्राम खेतली थाना डुमरी निवासी मोहन मार (40), श्रवण कंवर (32) भी झुलस गए हैं। दूसरी घटना में मवेशी चराने गए बुजुर्ग पर बिजली गिर गई, जिससे उसकी भी मौत हो गई।
फसल पकने में लगेगा समय: दास
कृषि महाविज्ञालय के डीन और कृषि मौसम विज्ञानी डाॅ. जीके दास का कहना है कि कम बारिश से फसल पर असर नहीं होगा, लेकिन देरी से बुआई होने पर फसल पकने की अवधि इतने दिन आगे बढ़ जाएगी। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर 100 से 110 दिन में पकने वाली फसल लगाई जाती है। समय पर बारिश शुरू होने कृषि कार्य भी तय समय से शुरू हो जाते हैं तो सितंबर अंत तक फसल तैयार हो जाती है। यह 10-15 अक्टूबर तक पक पाएगी। हालांकि कुछ लोग देरी से काम शुरू करते हैं, वे अक्टूबर अंत तक फसल की कटाई करते हैं।
अल नीनो का असर, रिकाॅर्ड बता रहा इस वर्ष 1000 मिमी के आसपास हो सकती है बारिश
मौसम विभाग के पिछले एक दशक के रिकार्ड बता रहे हैं कि अल-नीना और ला-नीना का असर रहा है तब-तब प्रदेश में कुछ कम बारिश हुई है। राज्य में मानसून के दौरान औसत 1142.4 मिमी बारिश होती है। इन घटनाओं वाले वर्षों में साढ़े नौ सौ से हजार मिमी के आसपास बारिश हुई है। जिन वर्षों में इस तरह की कोई मौसमी घटनाएं नहीं घटीं, उन वर्षों में 1200 मिमी से ज्यादा पानी गिरा है। मानसून के देर से आने, अल नीनो का प्रभाव इस ओर संकेत कर रहा है, कि बारिश की मात्रा इस साल थोड़ी घट सकती है। इसके बावजूद राज्य में कभी भी इतनी कम बारिश नहीं हुई है कि अकाल या सूखे की स्थिति बन जाए। इसकी एक बड़ी वजह प्रदेश की भौगोलिक स्थिति है। पूरे देश में मानसून दक्षिणी राज्यों के बाद छत्तीसगढ़ से होते हुए पूरे भारत में सक्रिय होता है। इसलिए यहां जरूरत का पानी बरस ही जाता है।
इस साल 1000 मिमी वर्षा संभव
मौसम विभाग के पिछले एक दशक के रिकार्ड बता रहे हैं कि अल-नीना और ला-नीना का असर रहा है तब-तब प्रदेश में कुछ कम बारिश हुई है। राज्य में मानसून के दौरान औसत 1142.4 मिमी बारिश होती है। इन घटनाओं वाले वर्षों में साढ़े नौ सौ से हजार मिमी के आसपास बारिश हुई है। मानसून के देर से आने, अल नीनो का प्रभाव इस ओर संकेत कर रहा है, कि बारिश की मात्रा इस साल थोड़ी घट सकती है। इसके बावजूद राज्य में कभी भी इतनी कम बारिश नहीं हुई है कि अकाल या सूखे की स्थिति बन जाए।