पिछले दिनों लगातार ये खबरें आ रही थीं कि पॉक्सो एक्ट में भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष और सांसद ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज शिकायत नाबालिग पीड़िता ने वापस ले ली है. इसे लेकर पीड़िता के पिता के बयान भी मीडिया में आए. क्या पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज होने के बाद क्या इसको वापस लिया जा सकता है. कानून के जानकारों का कहना है कि एक बार अगर पॉक्सो एक्ट में पीड़िता या पीड़ित शिकायत दर्ज करा देता है तो वो सीधे तरीके से कभी वापस नहीं होती. ये कैसे वापस होती है. इसकी अपनी एक प्रक्रिया है. जो आसान कतई नहीं.
पॉक्सो एक्ट आजकल चर्चा में है. भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह पर ये एक्ट लगाया गया है. नाबालिग महिला पहलवान ने उनके खिलाफ ये शिकायत पॉक्सो एक्ट में दर्ज कराई थी. पिछले दिनों अचानक मीडिया में ये खबरें गर्म हो गईं कि शिकायत वापस ले ली गई तो ये मामला अब खत्म हो गया है. अब इस एक्ट को हटा लिया जाएगा. जो भी इस कानून की गंभीरता से वाकिफ हैं, वो ये जानते हैं कि इसको वापस करने की पूरी एक न्यायिक प्रक्रिया है.
देश में बच्चों और नाबालिगों के यौन-शोषण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार द्वारा वर्ष 2012 में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) लागू किया गया था, ताकि बाल यौन-शोषण की घटनाओ पर अंकुश लगाया जा सके. ये काफी गंभीर कानून है. एक बार दर्ज होने के बाद इसमें काफी तेजी से कार्रवाई करने का प्रावधन है. इस एक्ट को महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 में बनाकर लागू किया गया था.
सवाल – क्या पॉक्सो एक्ट में शिकायत दर्ज होने के बाद उसको वापस लिया जा सकता है?
– कानून के जानकारों का मानना है कि ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता. एक बार जैसे ही ये शिकायत दर्ज होती है, उसके बाद ये स्थायी तौर पर पुलिस के रिकॉर्ड में अंकित हो जाती है. उसे फिर इस पर तेजी से कार्रवाई करनी होती है. इसे पीड़िता या पीड़ित या उनके परिवार का कोई शख्स वापस नहीं ले सकता. ना ही सार्वजनिक तौर ये कहने का मतलब है कि ये शिकायत वापस ले ली गई है.
सवाल – पॉक्सो एक्ट में शिकायत कैसे दर्ज होती है और ये कैसे खास होती है?
– पॉक्सो एक्ट में पीड़िता या पीडि़त हमेशा नाबालिग होता है. उसका बयान सेक्शन 164 के तहत दर्ज होता है. इसे एफआईआर के तौर पर तो दर्ज किया ही जाता है और साथ ही उसकी पूरी शिकायत ऑडियो के तौर पर भी रिकॉर्ड होती है. ये ऐसा मुकम्मल रिकॉर्ड होता है, जिसके साथ छेड़खानी नहीं हो सकती है. पुलिस को इस एक्ट में शिकायत दर्ज होते ही तेजी से कार्रवाई करनी होती है. जांच करनी होती है और अपनी रिपोर्ट अदालत में लगानी होती है. पुलिस में जिस समय ये शिकायत दर्ज होती है उस समय उसकी उम्र के बारे में पिता या मां द्वारा बताया जाता है.