Home मध्य प्रदेश अजब संयोग… बाबा महाकाल की शाही सवारी और सोमवती अमावस्या साथ- साथ

अजब संयोग… बाबा महाकाल की शाही सवारी और सोमवती अमावस्या साथ- साथ

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उज्जैन

आज सोमवती अमावस्या है। उज्जैन में भाद्रपद की कृष्ण पक्ष अमावस्या के योग में बाबा महाकाल की छठवीं सवारी निकाली जाएगी। शाम 4 बजे राजाधिराज महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकलेंगे। भक्तों को एक साथ 6 स्वरूपों में दर्शन देंगे। सवारी 6 घंटे बाद रात 10 बजे वापस महाकाल मंदिर लौटेगी। सात किमी तक निकलने वाली सवारी में 70 भजन मंडलियां ‎शामिल होंगी। डिंडौरी और अनूपपुर का जनजातीय ‎समूह सहभागिता करेगा।

जानें सवारी में कौन कहां रहेगा
महाकाल की सवारी में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन, यातायात पुलिस, तोपची, चांदी का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, स्काउट-गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड, 70 भजन मंडलियां, साधु-संत, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड, मंदिर के पुजारी-पुरोहित, भगवान चंद्रमौलेश्वर की प्रमुख पालकी, भारत बैंक के साथ गरुड़ शिवतांडव रूवरूप चलेगा।

अंतिम छोर में एंबुलेंस और पुलिस वाहन
रमेश बैंड के साथ नंदी रथ पर उमा-महेश स्वरूप, गणेश बैंड के साथ रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारबिंद स्वरूप, आरके बैंड के साथ रथ पर घटाटोप मुखौटा स्वरूप, रथ पर सप्तधान मुखारबिंद स्वरूप, राजकमल बैंड के साथ हाथी पर मनमहेश स्वरूप के दर्शन होंगे। सवारी के अंतिम छोर पर एम्बुलेंस, विद्युत मंडल का वाहन, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहन रहेंगे।

    हर हर महादेव!

    आज सोमवती अमावस्या के पावन अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर सपत्नीक बाबा महाकाल का दर्शन-पूजन किया।

    मंदिर में स्थित श्री जूना महाकालेश्वर मंदिर और श्री अनादिकल्पेश्वर मंदिर में भी पूजा अर्चना की तथा प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना की।

पत्नी के साथ CM मोहन यादव महाकाल की शरण में पहुंचे  
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को सोमवती अमावस्या पर भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में पहुंचकर भगवान महाकालेश्वर के दर्शन किए और सपत्नीक पूजन अर्चन किया। नंदी हॉल में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने मुख्यमंत्री डॉ यादव को शाल, प्रसाद और भगवान श्री महाकालेश्वर का चित्र भेंटकर सम्मान किया।

जानें कब, कब निकली बाबा की सवारी
इस बार 22 जुलाई को बाबा महाकाल की पहली सवारी निकली थी। 29 जुलाई को दूसरी, 5 अगस्त को तीसरी, 12 अगस्त को चौथी, 19 अगस्त को पांचवीं और भादौ में छठवीं सवारी 26 अगस्त को निकाली जा रही है। 

सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदियों में शिप्रा, नर्मदा में भी स्नान का महत्व है। जबलपुर, नर्मदापुरम के ग्वारीघाट, ओंकारेश्वर और शिप्रा के तट पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ स्नान के लिए जुटने लगी।

7 किलोमीटर का रूट रहेगा

शाही सवारी का रूट 7 किलोमीटर है। शाम 4 बजे से महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकलेंगे। भक्तों को एकसाथ 6 स्वरूपों में दर्शन देंगे। सवारी 6 घंटे बाद रात 10 बजे वापस महाकाल मंदिर लौटेगी।

शाही सवारी का हिस्सा सिंधिया राजवंश के परिवार के सदस्य भी जरूर होते हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके बेटे महान आर्यमन सिंधिया के आने की भी संभावना है। जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल भी शामिल होंगे।

उधर, आज अमावस्या होने पर सुबह से शिप्रा के तटों पर स्नान, ध्यान और दान भी जारी है। स्नान के बाद श्रद्धालु महाकाल के दर्शन को पहुंच रहे हैं।

पितरों के लिए करें तर्पण, दान और धर्म

यह तिथि लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष मानी जाती है। इस बार सोमवती अमावस्या जिसे पिठोरी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, श्रेष्ठ योग के साथ आ रही है। इन योगों में पितरों और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।

यह अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में आ रही है। यह धर्म अध्यात्म एवं तपस्या के फल को प्रदान करने वाली अमावस्या है। इस दिन धर्म कार्य जैसे पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, देवी पूजन आदि विधि विधान से करना चाहिए।

12 वर्ष में बनता है इस प्रकार का संयोग

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के योगों का बड़ा उल्लेख बताया गया है। उनकी गणना गणितीय पक्ष को दर्शाती है कि किस समय किस प्रकार के ग्रह का कौन सी राशि में प्रवेश हो रहा है और गोचर काल में उस ग्रह की साक्षी में कौन-कौन से पर्व काल आते हैं।

इस बार सोमवती अमावस्या बृहस्पति के केंद्र त्रिकोण योग में आ रही है। बृहस्पति को धर्म का कारक ग्रह बताया गया है। वहीं धन, ऐश्वर्य एवं संतान की वृद्धि और संतान की उत्पत्ति के लिए भी इस अमावस्या को विशेष माना जाता है। पितरों के निमित्त इस दिन का विशेष प्रयोग किया जा सकता है।

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प्रसिद्ध
सिंह राशि के सूर्य-चंद्र की युति श्रेष्ठ

ग्रह गोचर में सूर्य व चंद्र ग्रह का सिंह राशि में परिभ्रमण और मघा नक्षत्र पर संचरण विशेष रूप से साक्षी को दर्शाता है। यह स्थिति भी पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ और अनुकूल बताई जाती है। उनके निमित्त धर्म, दान करना चाहिए।

यही नहीं, मध्य रात्रि में भगवती लक्ष्मी की साधना भी इस स्थिति का पूर्ण फल प्रदान करने में सक्षम है। इस दृष्टि से भी मनोनुकूल साधना करनी चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है और घर में सुख-समृद्धि मिलती है।

प्रोटोकॉल और 250 रुपए की टिकट व्यवस्था बंद रहेगी
महाकाल मंदिर में सोमवार को शाही सवारी और सोमवती अमावस्या होने से भीड़ अधिक है। इस दिन मंदिर प्रशासन ने प्रोटोकॉल व्यवस्था बंद कर दी है। 250 रुपए का टिकट लेकर शीघ्र दर्शन व्यवस्था भी दोपहर 12 बजे तक ही चालू रहेगी। उज्जैन जोन के आईजी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि सवारी की ड्रोन से निगरानी होगी। 1200 से अधिक पुलिस बल तैनात रहेगा।

सवारी का मिनिट टू मिनिट कार्यक्रम

    महाकाल मंदिर में पूजन के बाद शाम 4 बजे सवारी आगे बढ़ेगी।

    शाम 4.20 बजे कोट मोहल्ला, 4.30 बजे गुदरी चौराहा, 4.45 बजे बक्षी बाजार चौराहा पहुंचेगी।

    शाम 5 बजे हरसिद्धि पाल पहुंचेगी। 5.15 बजे रामघाट पर पूजन होगा।

    शाम 6 बजे वापसी में बंबई वाले की धर्मशाला, 6.30 बजे गणगौर दरवाजा आएगी।

    शाम 7 बजे सत्यनारायण मंदिर, 7.30 बजे कमरी मार्ग, 7.45 बजे टंकी चौराहा पहुंचेगी।

    रात 8 बजे तेलीवाड़ा, 8.30 बजे कंठाल चौराहा, 9 बजे गोपाल मंदिर, 9.30 बजे गुदरी चौराहा आएगी।

    रात 9.45 बजे कोट मोहल्ला और 10 बजे मंदिर परिसर पहुंचेगी।

70 भजन मंडलियां शामिल होंगी
सवारी में 70 भजन मंडलियां ‎शामिल होंगी। हर मंडली में 50 लोग सम्मिलित हो‎ सकेंगे। मंडलियों को मंदिर समिति ‎की ओर से पास दिए गए हैं। डिंडौरी और अनूपपुर का जनजातीय ‎समूह सहभागिता करेगा।

सवारी में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन, यातायात पुलिस, तोपची, चांदी का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, स्काउट – गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड, 70 भजन मंडलियां, साधु-संत, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड, मंदिर के पुजारी-पुरोहित, भगवान चंद्रमौलेश्वर की प्रमुख पालकी, भारत बैंड के साथ गरुड़ पर शिवतांडव स्वरूप चलेगा।

इसके बाद रमेश बैंड के साथ नंदी रथ पर उमा-महेश स्वरूप, गणेश बैंड के साथ रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारबिंद स्वरूप, आरके बैंड के साथ रथ पर घटाटोप मुखौटा स्वरूप, रथ पर सप्तधान मुखारबिंद स्वरूप, राजकमल बैंड के साथ हाथी पर मनमहेश स्वरूप के दर्शन होंगे।

सवारी के अंतिम छोर पर एम्बुलेंस, विद्युत मंडल का वाहन, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहन रहेंगे।

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