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मध्य प्रदेश में 68 वर्षों बाद विधायकों के लिए नए फ्लैट्स बनाए जाएंगे, जिनमें आधुनिक सुविधाएं होंग

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भोपाल
 मध्य प्रदेश में विधायकों की लंबे समय से चली आ रही अच्छे आवास उपलब्ध कराने की मांग को मोहन यादव सरकार पूरा करने जा रही है। 68 वर्ष बाद विधानसभा के पारिवारिक और विश्रामगृह खंड संख्या- एक को तोड़कर छह मंजिला इमारत बनाई जाएगी, जिसमें 106 फ्लैट रहेंगे। विधायकों के ऑफिस के लिए अलग से कक्ष रहेगा।

ये होगी सुविधाएं

बेसमेंट में पार्किंग, स्विमिंग पूल, जिम, कैंटीन की व्यवस्था भी रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के समक्ष हुए प्रस्तुतीकरण में परियोजना पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। वित्त विभाग की उच्च स्तरीय समिति ने भी अनुमोदन कर दिया है।

कैबिनेट के सामने पेश होगी परियोजना

अब इस प्रस्तावित परियोजना को अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। मध्य प्रदेश विधानसभा पहले 320 सदस्यीय हुआ करती थी। इसके हिसाब से विधायकों के लिए पारिवारिक खंड और विश्रामगृह 1956 और कुछ भवन 70 के दशक में बनाए गए।

छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद सदस्यों की संख्या घटकर 230 रह गई तो आवश्यकता के अनुसार विधायकों को दो-तीन कक्ष तक आवंटित कर दिए गए पर ये भी पर्याप्त नहीं हैं। कमरे छोटे-छोटे हैं। पार्किंग सहित अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। इसे देखते हुए चरणबद्ध तरीके से नए आवास बनाए जाएंगे।

पहले चरण में बनेंगे 106 फ्लैट

मिली जानकारी के मुताबिक, पहले चरण में 106 फ्लैट बनेंगे। प्रत्येक फ्लैट लगभग 2600 वर्गफीट का होगा। इसमें चार बड़े कमरे, आफिस के लिए एक कक्ष, बड़ा हाल और खुला क्षेत्र भी होगा। वाहन रखने के लिए प्रत्येक इमारत के बेसमेंट में व्यवस्था रहेगी।

जिम, स्विमिंग पूल, कैंटीन, पारिवारिक कार्यक्रम करने के लिए सभागार भी बनाया जाएगा। 16वीं विधानसभा की अवधि पूर्ण होने के पहले परियोजना होगी पूरी- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय के समक्ष परियोजना का प्रस्तुतीकरण हुआ, जिसमें इस पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया।

प्रयास यही है कि 16वीं विधानसभा की अवधि पूरी होने के पहले परियोजना पूर्ण हो जाए, इसलिए इस पर वर्ष 2024-25 में ही काम प्रारंभ कर दिया जाएगा। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि उच्च स्तरीय समिति ने भी परियोजना का अनुमोदन कर दिया है। अब इसे अंतिम निर्णय लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

पहले इस कारण निरस्त हुई थी योजना

विधायकों के लिए नए आवास बनाए जाने की योजना आज की नहीं है। 2015 में प्रस्ताव बन चुका है और सरकार ने भी सहमति दे दी थी, तब विधानसभा परिसर की रिक्त 22 एकड़ भूमि को आवासीय परियोजना के लिए चिन्हित किया था। इसमें बड़े पेड़ों के साथ छोटी झाड़ियों का जंगल है। एक हजार से अधिक पेड़ काटने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी।

नगर निगम में कुछ पेड़ काट भी डाले थे पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों ने इसका विरोध किया और एनजीटी में भी मामला चला गया था। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) ने शपथ पत्र देकर कहा था कि 22 एकड़ में से केवल ढाई एकड़ भूमि पर ही निर्माण होगा।

इसके लिए 537 पेड़ काटे या छांटे जाएंगे। जितने पेड़ कटेंगे, उससे चार गुना पौधारोपण किया जाएगा। पेड़ों की कटाई का मामला सामने आने पर विरोध के बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने परियोजना पर रोक लगा दी थी। उसके स्थान पर अब नई योजना बनाई गई है, जिसमें पेड़ नहीं काटे जाएंगे।

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