Home मध्य प्रदेश जन विश्वास पर खरी उतरती, मोहन सरकार

जन विश्वास पर खरी उतरती, मोहन सरकार

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भोपाल

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार में जनहित और जनसेवा के साथ सुशासन को बनाए रखने के लिए निरंतर कार्य एवं नवाचार हो रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा जहां अपराध और लापरवाही को लेकर सख्त एक्शन पर एक्शन लिया जा रहा है, तो वहीं अच्छा काम करने वाले अफसरों को बड़ी जिम्मेदारियां देकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों की अदला-बदली इसी आधार पर की है। श्रीमती रश्मि अरूण शमी को महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है तो कृष्ण गोपाल तिवारी को नर्मदापुरम संभाग का आयुक्त बनाया गया है साथ ही योग्य, ईमानदार और जवाबदेह आईएएस एम सेलेवेन्द्रन, धनराजू एस. जैसे अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई हैं।

अब अधिकारी-कर्मचारी ऑन टाइम

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार जनकल्याण के लिए संकल्पित है। मुख्यमंत्री जी नहीं चाहते हैं कि जनता से जुड़े किसी भी कार्य में विलंब हो, जिसके लिए उन्होंने एक और बड़ा निर्णय किया है। मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी दफ्तरों में अधिकारी एवं कर्मचारी सुबह 10:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे। अगर निर्धारित समय के अनुसार कोई नहीं चलेगा, तो फिर अनुशासनहीनता को लेकर कार्यवाही भी की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के इस कदम से निश्चित ही सरकारी कार्य गति से होंगे और लोगों की समस्याओं का निराकरण बिना विलम्ब के होगा।

विधानसभा के मानसून सत्र की तैयारियां को लेकर बैठक

    प्रदेश में 1 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होना है, जिसे लेकर मोहन सरकार तैयारियों में जुटी है। इस संबंध में सीएम डॉ. यादव ने बकायदा एक बैठक लेकर विधानसभा सत्र के लिए सरकारी विभागों की कार्यवाही की जानकारी ली। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि विधानसभा के आगामी सत्र के लिए विभाग और विभागाध्यक्ष प्रश्नों के उत्तर भेजने के साथ ही विभागीय उपलब्धियों का विवरण भी तैयार रखें।

 विधानसभा एक ऐसा माध्यम है, जहां शासन के श्रेष्ठ कार्यों की जानकारी दिए जाने से आमजन तक भी महत्वपूर्ण सूचनाएं पहुंच जाती हैं। विधायकों के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर समय-सीमा में भेजे जाएं। उत्तर के रूप में भेजी गई जानकारी भी संपूर्ण एवं प्रासंगिक होना चाहिए। इसी तरह जनकल्याण से जुड़ी राज्य शासन की प्राथमिकताओं का ब्यौरा भी इसमें शामिल होना चाहिए।

    आगामी विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री जी द्वारा ली गई यह बैठक बताती है कि उनकी सरकार, जनता से जुड़े प्रश्नों और उनके उचित जवाब को लेकर कितना गंभीर हैं। मोहन सरकार की इसी कार्यशैली की वजह से आज मध्यप्रदेश की पहचान सुशासन से है।

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