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दलबदल के बाद भी विधायक क्यों नहीं दे रहे इस्तीफा? क्या अब सता रहा हार का डर? क्यों हो रही इतनी चर्चा, जानें

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भोपाल

मध्य प्रदेश में अभी अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं. तो वहीं दलबदल के तहत जो विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. उन्होंने अभी तक विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा नहीं दिया है. हाल ही में शिवराज सिंह चौहान भी बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे चुके हैं. जिसके बाद बुधनी विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है. तो वहीं दलबदल के तहत बीजेपी में शामिल हुए श्योपुर की विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत और बीना विधायक निर्मला सप्रे ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है. इस्तीफा न देने के पीछे की कई वजहें सामने आ रही हैं. आइये जानते हैं.

    लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी के तीन विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी जवाइन कर ली थी. इन तीनों विधायकों ने चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार भी किया था. जिससे चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी का अच्छा खासा नुकसान भी हुआ था. यह तीन नाम हैं अमरवाड़ा से कमलेश शाह, बीना से निर्मला सप्रे और रामनिवास रावत जो श्योपुर की विजयपुर सीट से विधायक बनकर आए थे. आपको बता दे कमलेश शाह ने तो अपना इस्तीफा दे दिया है, मगर बाकी दो विधायकों ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है.

अब इस्तीफे की बात पे दे रहे है अलग- अलग वजह

रामनिवास रावत की माने तो उन्होंने कभी भारतीय जनता पार्टी जॉइन ही नहीं की थी. और, वो भाजपा में कभी शामिल हुए ही नही. जबकि जिस समय वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. उस समय तमाम भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी उस सभा में शामिल थे. निर्मला सपरे की बात करे तो उनका कहना है कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए अभी तक नहीं दिया है क्योंकि पार्टी के बड़े नेताओं ने अभी उन्हें कोई इस तरह के आदेश नहीं दिया है.

इस्तीफा ना देने की वजह

दलबदल करने वाले विधायकों के इस्तीफा ना देने की सबसे बड़ी वजह हार का डर बताया जा रहा है. जैसे विजयपुर विधानसभा जहां से रामनिवास रावत आते हैं. वो किसी के भी पाले में गिर सकती है, कभी वहां वो भारतीय जनता पार्टी जीत जाती है व कई बार जैसे 2018 में कांग्रेस को अच्छा समर्थन मिला था. इसलिए उनके हार के डर के कारण वह इस्तीफा नही दे रहे. माना जा रहा है कि जिस दौरान उन्होंने दलबदल किया था उस समय उनके वापस जीतने की संभावनाएं ज्यादा थी. लेकिन, अगर मौजूदा वक्त की बात की जाए तो वहां कांग्रेस को ऐज मिलता नजर आ रहा है.

 निर्मला सप्रे को सता रहा है इमरती देवी वाला डर

निर्मला सप्रे ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की टिकट से जीत हासिल की थी. और ऐसा ज़रूरी नही की वह कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर लड़े और यहां भी जीत हासिल कर लें. निर्मला सप्रे को इमरती देवी की कहानी ज़रूर याद होगी.

इमरती देवी को भी SC होने के कारण डबरा से कांग्रेस से जीत मिली थी. मगर फिर उन्हें दलबदल के बाद हार मिली. यहां तक की हाल ही में हुए चुनाव में भी इमरती देवी को हार का मुंह देखना पड़ा था.  दिलचस्प बात यह है की दोनों के बयान भी लगभग एक जैसे थे. दोनों ने यह आधिकारिक तौर पर कहा था की वो विधायक निधि मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. जैसे ही विधायक निधि पाएंगी इस्तीफा दे दिया जाएगा.

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