कान,
कान फिल्म महोत्सव में चिदानंद एस नाइक की फिल्म ‘सनफ्लॉवर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो’ ने ला सिनेफ प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार अपने नाम किया है।
चिकित्सा पेशे से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आए मैसुरू निवासी नाइक ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के टेलीविजन विंग में अपने एक साल के पाठ्यक्रम के अंत में यह फिल्म बनाई थी।
फिल्म की कहानी कन्नड भाषा की एक लोक कथा पर आधारित है। यह कहानी एक बूढ़ी महिला की है जो मुर्गे की चोरी करती है और इसके बाद उसका गांव अंधेरे में डूब जाता है।
कान में ला सिनेफ प्रतियोगिता का तीसरा पुरस्कार बृहस्पतिवार को भारत में जन्मी मानसी माहेश्वरी की एनिमेशन फिल्म ‘बनीहुड’ को दिया गया है।
मेरठ में जन्मी और निफ्ट, दिल्ली की पूर्व छात्रा माहेश्वरी ने ब्रिटेन के नेशनल फिल्म एंड टेलीविजन स्कूल में अपनी पढ़ाई के दौरान इस फिल्म का निर्माण किया था।
ला सिनेफ प्रतियोगिता में दूसरा पुरस्कार कोलंबिया विश्वविद्यालय की अस्या सेगालोविच द्वारा निर्देशित ‘आउट ऑफ द विडो थ्रू द वॉल’ और यूनान के थेसालोनिकी के अरस्तू विश्वविद्यालय के निकोस कोलीकोस द्वारा बनाई गई ‘द कैओस शी लेफ्ट बिहाइंड’ को दिया गया है।
कान फिल्म महोत्सव में प्रथम पुरस्कार विजेता को 15000 यूरो, द्वितीय पुरस्कार के लिए 11,250 यूरो और तृतीय पुरस्कार के लिए 7,500 यूरो का अनुदान दिया जाता है।
पुरस्कार प्राप्त फिल्मों को 3 जून को सिनेमा डू पैंथियन में और 4 जून को एमके 2 क्वाई डी सीन में प्रदर्शित किया जाएगा।
नाइक को मिला यह पहला पुरस्कार है जो पिछले पांच वर्षों में भारत में आया दूसरा पुरस्कार है। साल 2020 में, एफटीआईआई की ही अश्मिता गुहा नियोगी ने अपनी फिल्म ‘कैटडॉग’ के लिए यह पुरस्कार जीता था।