बिल्डर्स और क्षेत्रीय नेताओं व्दारा भूमि को नगर निवेश से मिली भगत कर परिवर्तित करने का लगाया आरोप
दुर्ग जिले में भी पूर्ववर्ती सरकार और रसूखदारों के दबाव में भूमियों को आवश्यकता के अनुसार ग्राम एवं नगर निवेश विभाग से मिली भगत कर भूमि के उपयोग को परिवर्तित करने का गंभीर आरोप लगाया गया है।
राजधानी रायपुर में भाजपा सरकार के आने के पश्चात भूमियों के उपयोग के मास्टर प्लान में विभाग व्दारा गलत लैंडयूज किये जाने का मामला सामने आया है। बड़े बिल्डर्स ने आवश्यकता के अनुसार औद्योगिक उपयोग के प्लाटो और खसरों को आवासीय तथा ग्रीन बेल्ट किया जाना पाया गया है।इसी तरह यदि प्रदेश के अन्य जिलों में जांच किया गया तो निश्चित ही रसूखदारों के इशारे पर मास्टर प्लान बनाया जाना सामने आया है।
दुर्ग जिले में भी सीमा और राजधानी से लगे नगर पालिका क्षेत्र कुम्हारी में जनप्रतिनिधियों और बिल्डरों की मिली भगत से कई मामले सामने आये हैं,जिसमें बिल्डर्स ने सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि किसानों से कम कीमत में खरीदकर पंजीयन और प्लाटिंग कर अधिक कीमत में बेचा जा रहा है।
टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग के नियमों के अनुसार प्लाटिंग करने वाले भूमि का एक 15% हिस्सा स्थानीय निकायों को देना होता है।और आवासीय क्षेत्र बनाये जाने पर निवासियों के अन्य प्रयोजन हेतु भी रिक्त भूमि छोड़े जाने का प्रावधान है। लेकिन यह पाया गया है कि बिल्डर्स व्दारा अपने प्लॉटिंग एरिया के आसपास के कृषि भूमियों को सांठगांठ कर पर्यावरण हेतु सुरक्षित क्षेत्र घोषित करवा लिया गया है,जिससे उन्हें अपने प्लाटिंग एरिया में गार्डन इत्यादि के लिए भूमि छोड़ना ना पड़े।
कुम्हारी के खारून नदी के समीप लगभग 20 वर्षों पूर्व इसी तरह कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग किया गया था। लेकिन रसूखदार बिल्डर्स व्दारा अपने व्यवसाय और प्लाटिंग को सुरक्षित करने टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग से मिली भगत कर खसरा नंबर 1194 को पर्यावरण के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। अब उन भूमि स्वामियों के समक्ष अपने वर्षों पूर्व क्रय किये प्लाटों पर निर्माण करना संभव नहीं हो रहा है।
इन समस्याओं से निजात पाने प्लॉट धारियों ने वर्तमान भाजपा सरकार के राजस्व मंत्री से मांग की है कि खसरा नंबर 1194 के आसपास किये गये प्लॉटिंग क्षेत्र की पुनः निर्धारण करें या लैंड यूज पूर्ववत किया जाए ,जिससे वे अपने आवासो का निर्माण कर सके।