Home मध्य प्रदेश ‘नूरजहां’ को बचाने-बढ़ाने में जुटी मोहन सरकार; भेजेगी वैज्ञानिक

‘नूरजहां’ को बचाने-बढ़ाने में जुटी मोहन सरकार; भेजेगी वैज्ञानिक

21

अलीराजपुर

गर्मियों के सीजन में आम खाना भला किसे पसंद नहीं होता। कोई मैंगे शेक बनाकर पीना पसंद करता है तो किसी को काटकर खाना पसंद होता है। हमारे देश में आमों की अलग-अलग वैराइटी मिलती हैं। आम की ऐसी ही एक किस्म का नाम नूरजहां है जो अपने बड़े साइज के लिए मशहूर है। इस एक आम का वजन साढ़े तीन से साढ़े चार किलो के बीच होता है। इसे अफगान मूल का माना जाता है। इस आम के पेड़ मध्य प्रदेश के अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में मिलते हैं।

मध्य प्रदेश में अधिकारी दुर्लभ 'नूरजहां' आम के पेड़ों की संख्या को बढ़ाने की कोशिशों को रीन्यू (नवीनीकृत) करने की योजना बना रहे हैं। अलीराजपुर में इसके पेड़ों की संख्या घटकर 10 हो गई है। इंदौर डिविजन कमिश्नर (राजस्व) दीपक सिंह ने बागवानी विभाग की एक बैठक के दौरान कहा, 'अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में नूरजहां के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक प्रयास तेज किए जाने चाहिए।'

सिंह ने अलीराजपुर जिले में आम के पेड़ों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए हुए वन विभाग को टिश्यू कल्चर की मदद से नूरजहां के नए पौधे तैयार करने के निर्देश दिये। अलीराजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने कहा, 'नूरजहां आम के केवल 10 फल देने वाले पेड़ बचे हैं। हमने हार नहीं मानी है। हम अगले पांच सालों में पौधारोपण कर इनकी संख्या 200 तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इस प्रजाति को विलुप्त नहीं होने देंगे।'

यादव ने आगे कहा कि कुछ दशक पहले नूरजहां आम का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम तक होता था, जो अब घटकर 3.5 से 3.8 किलोग्राम के बीच रह गया है। वहीं आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव जो नूरजहां के तीन पेड़ों के मालिक हैं, ने कहा कि इस बार पैदावार कम है। उन्होंने कहा, 'मेरे तीन पेड़ों से केवल 20 आम निकले। बेमौसम बारिश और तूफान से पैदावार पर बुरा असर पड़ा।' जाधव ने बताया कि उनके बगीचे में पिछले साल सबसे भारी 3.8 किलोग्राम का आम हुआ था, जिसके उन्हें 2,000 रुपये मिले थे। उन्होंने बताया कि नूरजहां के पेड़ जनवरी में खिलते हैं और आम जून में बिक्री के लिए पकने के बाद जाते हैं।

अलीराजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने बताया, नूरजहां आम के केवल 10 फल देने वाले पेड़ बचे हैं. हमने हार नहीं मानी है. हम अगले पांच वर्षों में पौधारोपण कर इनकी संख्या 200 तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. हम इस प्रजाति को विलुप्त नहीं होने देंगे.

उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले नूरजहां आम का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम तक होता था, जो अब घटकर 3.5 से 3.8 किलोग्राम के बीच रह गया है.

नूरजहां के तीन पेड़ों के मालिक और आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने बताया, इस बार पैदावार कम है. मेरे तीन पेड़ों से केवल 20 आम निकले. बेमौसम बारिश और तूफ़ान से पैदावार पर बुरा असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि उनके बगीचे में पिछले साल सबसे भारी 3.8 किलोग्राम की नूरजहां पैदा हुए थे, जिससे उन्हें 2,000 रुपये मिले थे. किसान जाधव ने कहा, नूरजहां किस्म के पेड़ जनवरी में बौर आने शुरू हो जाते हैं और आम जून में पकने के बाद आम बाजार में बिक्री के लिए आते हैं.

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here