खजराना गणेश मंदिर को दुनियाभर में जाना जाता है। दूर दूर से लोग यहां पर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं। महाकाल मंदिर और प्रदेश के अन्य मंदिरों की तर्ज पर अब यहां पर भी दर्शन के लिए फीस लगना शुरू हो गई है। खजराना गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट के मुताबिक खजराना गणेश मंदिर में यह नई व्यवस्था कलेक्टर आशीष सिंह और मंदिर प्रशासन की सहमति के बाद शुरू की गई है। हालांकि कलेक्टर का कहना है कि ऐसे निर्णय के बारे में कोई चर्चा भी नहीं हुई है। मंदिर से जुड़ा कोई भी निर्णय प्रबंध समिति की बैठक में ही हो सकता है और आचार संहिता लागू होने के कारण बैठक नहीं हो सकती है।
कितना शुल्क लगेगा
खजराना गणेश मंदिर में प्रथल गैलरी से दर्शन के लिए 50 रुपए दर्शन शुल्क लग रहा है। यदि दो लोग यानी पति पत्नी जाते हैं तो सौ रुपए शुल्क लगेगा। बच्चों का शुल्क नहीं लगेगा। इसके लिए सीढ़ियों के पास में ही काउंटर टेबल लगाई गई है। सीढ़ियों पर चढ़ते ही आपको यह काउंटर टेबल दिख जाएगी। यहां से रसीद कटाकर भक्त प्रथम गैलरी से भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इस गैलरी के पीछे एक कॉमन गैलरी बनी है जहां से दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।
क्यों जरूरत पड़ी दर्शन शुल्क की
खजराना गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि मंदिर में दुनियाभर से भक्त आते हैं। कई बार बहुत अधिक संख्या होने की वजह से व्यवस्थाएं संभालने में दिक्कत होती है। दर्शन की व्यवस्था सुचारू रूप से चले इसके लिए यह नाममात्र का दर्शन शुल्क रखा गया है। इससे हमें दर्शन की व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। अशोक भट्ट ने बताया कि यह राशि सेवा कार्यों में उपयोग की जाती है। मंदिर में रोज हजारों भक्तों को निःशुक्ल भोजन कराया जाता है। नाममात्र के शुल्क में डायलिसिस के मरीजों को उपचार दिया जाता है और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी के बच्चों को निःशुल्क दवाएं वितरीत की जाती हैं।
गर्भगृह में दर्शन के लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी
अशोक भट्ट ने बताया कि गर्भगृह में मूर्ति के पास से दर्शन और पूजा के लिए कलेक्टर आशीष सिंह से अनुमति लेना होगी। बिना अनुमति के किसी को भी मंदिर के गर्भगृह में दर्शन नहीं दिया जाएगा। इसके लिए मंदिर आने से पहले ही कलेक्टर के यहां अनुमति का आवेदन लगाना होगा।
रिपोर्टर की सौ रुपए की रसीद काटी
अमर उजाला के रिपोर्टर ने जब प्रथम गैलरी में जाना चाहा तो जाने नहीं दिया। कहा कि दर्शन शुल्क लगेगा। इसके बाद दो लोगों की सौ रुपए की रसीद काटी गई। रसीद अथर्व शीर्ष पाठ के नाम पर दी गई। इसके बाद प्रथम गैलरी से दर्शन करने दिए गए। हालांकि लोग यहां पर पाठ नहीं कर पाते क्योंकि इतनी जगह नहीं होती इसलिए लोग बिना पाठ के दर्शन करके आ जाते हैं।