राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी NSA किसी भी देश के लिए बड़ा अहम पद होता है. आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े मसले कैसे हल करने हैं, सरकारों को NSA ही बताते हैं. इतने महत्वपूर्ण पद पर कौन बैठा है, कितने समय से बैठा है और क्या कर रहा है, इससे संबंधित देश के सिक्योरिटी अपरेटस का बड़ा क्लियर आइडिया मिलता है. इस नजरिए से भारत और पाकिस्तान को देखें तो फर्क साफ जाहिर हो जाता है. पड़ोसी मुल्क में दो साल से भी अधिक समय से NSA का पद खाली पड़ा था. अब वहां सेना ने NSA की कुर्सी पर भी अपना बंदा बिठा दिया है. दूसरी ओर, अमेरिका में महज 100 दिन में NSA को पद छोड़ना पड़ा. फिर आता है भारत, जहां बीते 11 सालों से अजीत डोभाल पूरी शिद्दत से NSA की जिम्मेदारियां निभा रहे हैं.
ये तीन तस्वीरें इन देशों के सिस्टम की चाल ही नहीं, सोच की भी पहचान हैं. अमेरिका जहां वाइट हाउस के भीतर वफादारी की राजनीति में टॉप पोस्ट दांव पर लगा देता है. वहीं पाकिस्तान में सिविलियन शासन को किनारे कर फौज कूटनीति और खुफिया डोमेन पर काबिज है. इसके उलट, भारत का मॉडल स्थायित्व और प्रोफेशनल अप्रोच की मिसाल है. जहां डोभाल जैसे पेशेवर अधिकारियों के जरिए सिस्टम में निरंतरता बनी रहती है.