पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगी में तबाही मचा दी है. शुक्रवार और शनिवार को प्रदर्शन के नाम पर हिंसा, आगजनी और लूटपाट का ऐसा तांडव हुआ कि लोग जान बचाकर गांव छोड़ने को मजबूर हो गए. इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं.
शमशेरगंज और धुलियान जैसे हिंसा-प्रभावित इलाकों से भागे हुए लगभग 500 परिवारों ने मालदा जिले के वैष्णवनगर परलाल हाई स्कूल में शरण ली है. जिनकी आंखों में अब भी डर और असुरक्षा की झलक साफ देखी जा सकती है. पीड़ितों के मुताबिक, उन्हें अपने घर जलते हुए छोड़कर नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ी. अब वे एक स्कूल के छोटे-छोटे कमरों में बेजान हालात में जी रहे हैं.
‘हमारे पास न घर है, न ठिकाना’
एक महिला ने रोते हुए बताया, ‘हमारे पास जो कुछ भी था, सब जला दिया गया. उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर घरों में आग लगा दी. पानी की टंकी में जहर मिला दिया. बच्चों ने सुबह से कुछ नहीं खाया है. हमें पीने तक को पानी नहीं मिल रहा. हम नाव से जान बचाकर भागे हैं. अगर बीएसएफ और पुलिस नहीं होती, तो शायद हम जिंदा न होते.’
महिलाओं के साथ छेड़छाड़, गैस सिलेंडर में आग
पीड़ितों ने आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान हथियारबंद उपद्रवियों ने महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की. एक महिला ने कहा, ‘बम, बंदूक और चाकू लेकर आए थे. उन्होंने घरों में लूटपाट की, गैस सिलेंडर में आग लगा दी.’ कुछ ने बताया कि महिलाओं को धमका कर बदसलूकी की गई और घरों में रखे गहनों, फर्नीचर और यहां तक कि मवेशियों तक को नहीं छोड़ा गया.
हिंसा पर सियासत गरमाई, केंद्रीय बल तैनात
हिंसा के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां मुर्शिदाबाद में तैनात की गई हैं. राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बल संयुक्त रूप से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. अफवाहों के चलते मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं.
हिंसा पीड़ितों से मिले बीजेपी नेता
रविवार को बीजेपी के पांच विधायकों का प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों से मिलने मालदा पहुंचा. इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने पीड़ितों से मिलकर कहा, ‘बंगाल के हिंदू अब समझ चुके हैं कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को लाइट बांग्लादेश बनाने में सफल हो गई हैं. हम वादा करते हैं कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद ऐसे हमलावरों को सीधा बाहर निकालने की जिम्मेदारी हमारी होगी.’
वहीं, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, ‘हिंदुओं की हत्या, दुकानें लूटना और मंदिर तोड़ना – यही तुष्टीकरण की राजनीति है. चुनाव से पहले यहां राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता है.’
हालांकि प्रशासन का दावा है कि हालात अब सामान्य हो रहे हैं, लेकिन स्कूलों में शरण लिए लोगों की आंखों में डर, बेबसी और असहायता साफ झलक रही है. प्रशासन के अनुसार, 15 अप्रैल तक इंटरनेट बंद रहेगा और सुरक्षा बल सतर्क हैं. लेकिन जिनका सब कुछ लूट चुका है, उनके लिए यह भयावह मंजर एक सपने की तरह है जो कभी खत्म नहीं होता.