केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संकेत दिया कि सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों में कटौती करने की योजना बना रही है. मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि GST लागू होने के बाद से दरों में लगातार कमी आई है और आगे भी इसे और घटाया जाएगा. सीतारमण ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं की निगरानी उनके सहयोगी पीयूष गोयल कर रहे हैं और दोनों देशों को एक बेहतर व्यापार समझौते पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक विभाजन और व्यापार शुल्क युद्ध जैसी चुनौतियां भारत के लिए नए अवसर भी लेकर आती हैं.
वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी घटाने की प्रतिबद्धता दोहराई. सीतारमण ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और माइक्रो-क्रेडिट के मुद्दे पर कहा कि कुछ कंपनियां अत्यधिक आक्रामक रूप से लोन दे थीं, लेकिन RBI के सख्त दिशानिर्देशों के कारण इन्हें नियंत्रित किया गया है. उन्होंने बताया कि अब इन नियमों में कुछ ढील दी गई है, जिससे स्थिति में सुधार हुआ है.
व्यापार समझौतों की समीक्षा कर रही सरकार
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार जापान, दक्षिण कोरिया और ASEAN जैसे देशों के साथ मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) की समीक्षा कर रही है ताकि भविष्य में भारत के हितों को बेहतर ढंग से सुरक्षित किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि भारत किसी भी व्यापार वार्ता में राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखता है. सीतारमण ने इस बात पर भी जोर दिया कि पहले किए गए कुछ द्विपक्षीय व्यापार समझौते जल्दबाजी में किए गए थे या उनमें शर्तें अस्पष्ट थीं. उन्होंने कहा, “मैं किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहती, लेकिन कई मामलों में इन समझौतों के दूरगामी प्रभावों को ठीक से नहीं समझा गया.”
वित्त मंत्री ने उद्योग जगत से तेजी से विकास दर हासिल करने का आह्वान किया और कहा कि सकारात्मक सोच रखना बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा, “हमें अपने देश की आलोचना करना बंद करना चाहिए. यदि हम केवल नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देंगे, तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे. भारत चुनौतियों के बावजूद सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. हमें अतीत में नहीं बल्कि वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा.”
निवेश पर उद्योगों को निर्णय लेने की आज़ादी
सीतारमण ने कहा कि सरकार यह तय नहीं करेगी कि उद्योगों को कहां निवेश करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर उद्योग किसी विशेष क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं तो यह पूरी तरह से व्यावसायिक निर्णय है. साथ ही उन्होंने उद्योग जगत से सरकार को अपनी चिंताओं से अवगत कराने की अपील की.