एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के भारत में आने की पूरी संभावना है. कंपनी ने मुंबई में ऑफिस स्पेस लीज पर लिया है और कर्मचारियों की भर्ती भी कर रही है. लेकिन, भारत में टेस्ला की सफलता को लेकर जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन और एमडी सज्जन जिंदल को संशय हैं. उनका मानना है कि एलन मस्क भारत में सफल नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि मस्क वह चीज़ नहीं बना सकते जो टाटा और महिंद्रा भारत में कर बना सकते हैं.. जिंदल भी पूरी तरह से स्वामित्व वाला EV ब्रांड लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. पिछले साल JSW ग्रुप ने एमजी मोटर के साथ मिलकर नया जॉइंट वेंचर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया शुरू किया है.
सज्जन जिंदल ने अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स में कहा, “एलन मस्क यहां नहीं हैं. वह अमेरिका में हैं. हम भारतीय यहां हैं. वह वह नहीं बना सकते जो महिंद्रा कर सकते हैं, जो टाटा कर सकते हैं – यह संभव नहीं है.” जिंदल ने आगे कहा, “वह ट्रंप की छत्रछाया में, अमेरिका में कर सकते हैं. वह बहुत होशियार हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है. वह एक मावेरिक हैं, अंतरिक्ष यान और अन्य चीजें बना रहे हैं. उन्होंने अद्भुत काम किया है, इसलिए मैं उनकी उपलब्धियों को कम नहीं आंकना चाहता. लेकिन भारत में सफल होना आसान काम नहीं है.”
भारत में एंट्री को तैयार है टेस्ला
एलन मस्क अपनी इलेक्ट्रिक कारों को भारत में लॉन्च करने को लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. अब भारत में टेस्ला की एंट्री लगभग फाइनल हो गई है. टेस्ला ने मुंबई में एक शोरूम खोलने के लिए ऑफिस लीज़ पर लिया है. भारत में यह कंपनी का पहला शोरूम होगा, जो मुंबई हवाई अड्डे के पास, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में मेकर मैक्सिटी बिल्डिंग में स्थित होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने उनसे मुलाकात की थी.
टेस्ला ने जो ऑफिस लीज पर लिया है उसका किराया लगभग 3.88 करोड़ रुपये रुपये सालाना होगा. हर साल किराए में बढोतरी भी होगी और रेंट लीज पांच साल की होगी. इस ऑफिस का आकार 4,003 वर्ग फुट है, जो लगभग एक बास्केटबॉल कोर्ट के आकार के बराबर है.
100% आयात शुल्क को लेकर विवाद
आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर 100% शुल्क लंबे समय से एलन मस्क और भारत सरकार के बीच विवाद का विषय रहा है. अमेरिकी सरकार भी प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत भारत से कार आयात पर शुल्क कम करने का आग्रह कर रही है. हालांकि, नई दिल्ली अपने स्वयं के ईवी निर्माण को बढ़ावा देने के प्रयास में शुल्क में भारी कटौती करने को लेकर झिझक रही है.