भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने सोमवार को कहा कि समस्या में फंसी छोटी इकाइयों के कर्जदारों के प्रति सहानुभूति दिखाना वित्तीय संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने अहमदाबाद में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में कर्ज प्रवाह की समीक्षा के लिए स्थायी सलाहकार समिति की 29वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि छोटी इकाइयां देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
कार्यक्रम के बाद जारी केंद्रीय बैंक की विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘डिप्टी गवर्नर ने वित्तीय संकट का सामना कर रहे एमएसएमई के प्रति निष्पक्ष ऋण गतिविधियों, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण के महत्व का उल्लेख किया.’’
वित्तीय संकट पर विचार-विमर्श
बैठक में वित्तीय संकट में एमएसएमई के तेजी से पुनरुद्धार पर भी विचार-विमर्श किया गया. डिप्टी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई), अकाउंट एग्रीगेटर रूपरेखा और नियामकीय सैंडबॉक्स जैसी पहल के माध्यम से संस्थागत ऋण समर्थन को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता, सूचना की कमी और देरी से भुगतान जैसी चुनौतियां हैं. इसका डिजिटल माध्यम, वैकल्पिक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल आदि के जरिये समाधान किया जा सकता है. समिति ने एमएसएमई को कर्ज प्रवाह की समीक्षा की और कर्ज प्रवाह में सुधार के लिए डिजिटल समाधानों पर चर्चा की.
बैठक में आरबीआई के अधिकारी, एमएसएमई मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग, सिडबी, नाबार्ड, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट, राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लि., खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारतीय बैंक संघ, फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल और एमएसएमई संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए.