सरकार जल्द ही बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढ़ा सकती है. अभी यह सीमा 5 लाख रुपये है, लेकिन इसे और बढ़ाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है. यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. आरबीआई ने बैंक के खराब प्रबंधन का हवाला देते हुए इसके निदेशक मंडल को 12 महीनों के लिए बर्खास्त कर दिया और कई वित्तीय प्रतिबंध लगाए. अगर सरकार बीमा कवर की सीमा बढ़ाने का फैसला लेती है, तो इससे करोड़ों बैंक ग्राहकों को राहत मिलेगी. अब सभी की नजरें सरकार के आधिकारिक ऐलान पर टिकी हैं.
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नगराजू ने भी कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढाने पर विचार किया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में उन्होंने कहा, “जमा बीमा सीमा बढ़ाने का मुद्दा हमारे विचाराधीन है। सरकार जैसे ही मंजूरी देगी, इसे लागू कर दिया जाएगा.”
क्या है डिपॉजिट इंश्योरेंस
अगर किसी बैंक का दिवाला निकल जाता है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) आपके पैसे की सुरक्षा करता है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) प्रत्येक बैंक जमाकर्ता को ₹5 लाख तक की बीमा सुरक्षा देता है. यह कवर मूलधन और ब्याज दोनों पर लागू होता है. यह संस्था बैंकों से प्रीमियम लेकर ग्राहकों के डिपॉजिट को बीमा कवरेज देती है. 2020 में PMC बैंक घोटाले के बाद सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी थी.
आरबीआई भी चाहता है बीमा कवर की सीमा बढ़े
19 अगस्त 2024 को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा था कि जमा बीमा की सीमा को समय-समय पर बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बढ़ती जमा राशि, महंगाई और आय स्तर में वृद्धि को देखते हुए यह कदम उठाया जा सकता है.
को-ऑपरेटिव बैंक सुरक्षित हैं
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के बाद लोग को-ऑपरेटिव बैंकों को लेकर सवाल उठा रहे हैं. इस पर आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, “सिर्फ एक बैंक में घोटाले से पूरे सेक्टर पर शक नहीं करना चाहिए. को-ऑपरेटिव बैंक RBI की सख्त निगरानी में काम कर रहे हैं.”